गेल की पाइपलाइन इनविट लाने की योजना | GAIL plans to bring pipeline invit

गेल की पाइपलाइन इनविट लाने की योजना

गेल की पाइपलाइन इनविट लाने की योजना

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:54 PM IST, Published Date : January 26, 2021/1:18 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की गैस कंपनी गेल (इंडिया) लि. दाहेज और बेंगलुरू के बीच अपनी दो गैस पाइपलाइन के लिये इनविट (बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट) लाने की योजना बना रही है। कंपनी प्रस्तावित पाइपलाइन कारोबार को गैस विपणन गतिविधियों से अलग करने से पहले इनविट पेश करने की योजना बना रही है।

मामले से जुड़े दो सूत्रों ने बताया कि देश की सबसे बड़ी गैस विपणन और परिवहन कंपनी की योजना दाहेज-उरन-पनवेल-दाभोल पाइपलाइन और दाभोल-बेंगलुरू पाइपलाइन को बाजार पर चढ़ाने की योजना है और इसके लिये कंपनी इनविट लाने पर विचार कर रही है।

इनविट म्यूचुअल फंड की तरह है। इसमें बुनियादी ढांचा क्षेत्र में व्यक्ति या संस्थागत निवेशक रिटर्न के रूप में आय प्राप्त करने के लिये प्रत्यक्ष रूप से छोटी राशि निवेश करते हैं।

गेल दोनों पाइपलाइन परयोजनाओं में बहुलांश हिस्सेदारी अपने पास रखेगी। ये पाइपलाइन गुजरात में दाहेज से महाराष्ट्र में दाभोल और वहां से कर्नाटक में बेंगलुरू तक जाती है।

सूत्रों के अनुसार इनविट के तहत 10 से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी शुरू में बेची जा सकती है।

गेल प्राकृतिक गैस पाइपलाइन नेटवर्क का परिचालन करती है जो 12,502 किलोमीटर तक फैला है। ये पाइपलाइन मुख्य रूप से देश के पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तरी भाग में हैं। कंपनी देश के पूर्वी भागों में और पाइपलाइन बिछा रही है।

सूत्रों के अनुसार इनविट बुनियादी ढांचा वित्त पोषण का नया मॉडल है और गेल उसका उपयोग करने को लेकर गंभीर है।

जिन दो पाइपलाइन के लिये इनविट लाने का प्रस्ताव है, उस पर 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय हुआ है।

यह बात ऐसे समय सामने आयी है जब गेल के पाइपलइन कारोबार को 100 प्रतिशत अनुषंगी इकाई में बदलने की योजना है।

गेल भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक गैस विपणन और कारोबारी कंपनी है। देश में कुल16,981 किलोमीटर पाइपलाइन नेटवर्क में उसकी हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है।

प्राकृतिक गैस का उपयोग करने वाले प्राय: यह शिकायत करते हैं कि उन्हें गेल के 12,160 किलोमीटर पाइपलाइन के नेटवर्क में ‘निष्पक्ष’ रूप से पहुंच नहीं मिलती है।

सूत्रों के अनुसार एक ही इकाई के दो कारोबार में शामिल होने से उत्पन्न हितों के टकराव को दूर करने के लिये गेल के विभाजन पर विचार किया जा रहा है।

उसने कहा कि कंपनी के कारोबार को विभाजित करने के बारे में जल्दी ही एक नोट विचार के लिये मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।

सरकार की गेल इंडिया में हिस्सेदारी 54.89 प्रतिशत है।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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