Today Gold Price: शादियों के सीजन में फिर महंगा हुआ सोना, कीमतों में हुई ताबड़तोड़ बढ़ोतरी, जानें क्या है चांदी के दाम

Today Gold Price: शादियों के सीजन में फिर महंगा हुआ सोना, कीमतों में हुई ताबड़तोड़ बढ़ोतरी, जानें क्या है चांदी के दाम

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  • Publish Date - November 25, 2025 / 06:31 PM IST,
    Updated On - November 25, 2025 / 06:36 PM IST

Gold Price Today || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • शादियों के सीजन की मांग से सोना-चांदी की कीमतों में तेज़ उछाल
  • सोना 3,500 रुपये बढ़कर 1,28,900 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंचा
  • चांदी 5,800 रुपये बढ़कर 1,60,800 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंची

नयी दिल्ली: Today Gold Price शादी-विवाह के मौसम की मांग के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं और खुदरा कारोबारियों की ताजा खरीदारी के बीच मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतें 3,500 रुपये बढ़कर 1,28,900 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गईं। सर्राफा में तीन दिनों से जारी गिरावट का सिलसिला टूट गया और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 3,500 रुपये बढ़कर 1,28,300 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी कर मिलाकर) हो गयी।

Today Gold Price चांदी की कीमतों में भी बढ़ोतरी

सोने के साथ-साथ चांदी की कीमतों में भी लिवाली देखी गई। यह 5,800 रुपये बढ़कर 1,60,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी कर मिलाकर) पर पहुंच गई। व्यापारियों ने कहा कि शादियों के मौसम के लिए स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की मांग बढ़ी है। विश्व की प्रमुख प्रतिस्पर्धी मुद्राओं के मुकाबले कमजोर डॉलर से भी सुरक्षित निवेश वाले विकल्पों की मांग बढ़ी है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक – जिंस, सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘मंगलवार को सोने की कीमतों में बढ़त दर्ज हुई, जिसकी वजह कमजोर डॉलर और फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की नरम टिप्पणियों के बाद दिसंबर में ब्याज दर में कटौती की बढ़ती उम्मीदें थीं।’’ विदेशी बाजारों में, न्यूयॉर्क में हाजिर सोना 0.09 प्रतिशत टूटकर 4,131.09 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जबकि हाजिर चांदी 0.40 प्रतिशत टूटकर 51.15 डॉलर प्रति औंस रह गई।

आज सोने की कीमत कितनी है?

1,28,900 रुपये प्रति 10 ग्राम (राष्ट्रीय राजधानी सर्राफा बाजार)।

चांदी की कीमत कितनी है?

1,60,800 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी कर मिलाकर)।

सोने की कीमतों में बढ़त क्यों हुई?

शादियों के सीजन की मांग, कमजोर डॉलर और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद के कारण।