कोलकाता, नौ जनवरी (भाषा) सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि को अब शहरी मांग से अच्छा समर्थन मिल रहा है लेकिन ग्रामीण मांग में कमी अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक एसबीआई ने अपने एक अध्ययन में यह आकलन पेश किया है।
इसके साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 6.4 प्रतिशत से संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
एसबीआई ने अपनी शोध रिपोर्ट ‘इकोरैप’ में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के जीडीपी पूर्वानुमान में अप्रैल 2023 से कुछ बदलाव आया है।
आरबीआई ने अप्रैल में 2023-24 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था, लेकिन बृहस्पतिवार को पेश अपनी ताजा मौद्रिक नीति में इसे थोड़ा संशोधित कर 6.5 प्रतिशत कर दिया। इस दौरान मुद्रास्फीति के 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो आरबीआई के सहनशील स्तर चार प्रतिशत से अधिक है।
रिपोर्ट के मुताबिक, नीतिगत ब्याज दर में कई बार हुई बढ़ोतरी के कारण बेरोजगारी दर गिर गई है, जिससे पता चलता है कि केंद्रीय बैंक रोजगार में संकुचन के बिना बाजार में अतिरिक्त श्रम मांग को कम करने में सक्षम है।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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