अहमदाबाद, 25 दिसंबर (भाषा) गुजरात सरकार ने बृहस्पतिवार को नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन पर नीतियां जारी कीं। इन नीतियों का उद्देश्य राज्य को स्वच्छ ऊर्जा का प्रमुख केंद्र बनाना है।
इन नीतियों के माध्यम से राज्य जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी ऊर्जा श्रृंखला को विविधतापूर्ण और सतत बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
‘एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा नीति 2025’ और ‘गुजरात हरित हाइड्रोजन नीति 2025’ नामक ये दोनों नीतियां स्वच्छ एवं सतत ऊर्जा प्रणालियों की ओर तेजी से बदलाव सुनिश्चित करने के लिए लाई गई हैं।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के मौके पर 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले सुशासन दिवस पर राज्य की राजधानी गांधीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में नीतियां जारी कीं।
एक अधिकारिक बयान में कहा गया कि भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) और ‘विकसित गुजरात 2047’ की दृष्टि के अनुरूप, नवीकरणीय ऊर्जा नीति गुजरात को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी स्वच्छ ऊर्जा केंद्र बनाने की दिशा में एक कदम है। यह नीति निवेश, नवाचार और ग्रिड स्थिरता को बढ़ावा देकर नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को सशक्त करेगी।
विज्ञप्ति में कहा गया कि गुजरात की नवीकरणीय ऊर्जा में अग्रणी स्थिति को आगे बढ़ाते हुए, 2030 तक 100 गीगावाट से अधिक क्षमता हासिल करने के लक्ष्य के साथ यह नीति भारत के 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ईंधन आधारित ऊर्जा क्षमता के लक्ष्य में बड़ा योगदान देगी।
इस नीति का एक प्रमुख आधार बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) का प्रोत्साहन और एकीकरण है, ताकि बड़े पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा को ग्रिड से जोड़ा जा सके और बिजली ग्रिड की स्थिरता बनी रहे।
नवीकरणीय ऊर्जा नीति में खासकर स्वयं उपयोग और तृतीय-पक्ष बिक्री वाली परियोजनाओं के के चालू होने की समय-सीमा में छूट दी गई है,
पारेषण अवसंरचना (बिजली निकासी की व्यवस्था) की समय-सीमा को अब परियोजना की क्षमता के आधार पर नहीं, बल्कि वोल्टेज स्तर के आधार पर युक्तिसंगत बनाया गया है।
भाषा योगेश रमण
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