खाद्य प्रसंस्करण योजनाओं को अधिक आवंटन, कृषि जिंसों के निर्यात को प्रोत्साहन हो:सीआईआई

खाद्य प्रसंस्करण योजनाओं को अधिक आवंटन, कृषि जिंसों के निर्यात को प्रोत्साहन हो:सीआईआई

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  • Publish Date - December 22, 2020 / 04:27 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:51 PM IST

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) उद्योग निकाय भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने मंगलवार को कहा कि उसने सरकार से खाद्य प्रसंस्करण योजनाओं के लिए बजट में धन का अधिक आवंटन और कृषि एवं खाद्य जिंसों के निर्यात के लिए कर प्रोत्साहन की मांग की है।

वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बजट पूर्व बैठक में, सीआईआई ने गेहूं के लिए निर्यात बाजारों को खोजने की आवश्यकता पर बल दिया।

सीआईआई ने एक बयान में कहा, ‘‘गेहूं के लिए, एक तरफ हमारे पास इसका अधिशेष स्टॉक है, लेकिन दूसरी ओर हम वैश्विक बाजार में गैर-प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं। इस प्रकार, अधिशेष गेहूं और निर्यात बाजारों पर पकड़ बनाने के मामले के प्रबंधन के लिए तरीके खोजने की आवश्यकता है।’’

सीआईआई ने मांग की कि आयकर अधिनियम की धारा 35सीसीसी के तहत अधिसूचित कृषि विस्तार परियोजनाओं पर किए गए राजस्व व्यय को मौजूदा 100 प्रतिशत की तुलना में 200 प्रतिशत की उच्च भारित कटौती की अनुमति देनी चाहिए।

भारत में सभी सार्वजनिक गोदामों को चरणबद्ध तरीके से डब्ल्यूडीआरए (भंडारगृह विकास नियामक प्राधिकार) के साथ पंजीकृत किया जाना चाहिए। इसके अलावा, सभी पंजीकृत गोदामों में इलेक्ट्रॉनिक वेयरहाउस रसीदें जारी करना अनिवार्य है।

सीआईआई ने ‘साइट्रस बोर्ड’ और ‘ब्रांडिंग और मार्केट डेवलपमेंट बोर्ड’ स्थापित करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि इन बोर्डों की स्थापना की दिशा में केंद्रीय बजट 2021-22 में आवश्यक आवंटन किया जाना चाहिए।

बयान में कहा गया है, ‘‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने क्लस्टर बजट के तहत योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए ‘टीओपी’ योजना का क्रियान्वयन किया है, इसके लिए केंद्रीय बजट 2021-22 में आवश्यक आवंटन किए जाने चाहिए।’’

सीआईआई ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की ‘सम्पदा’ योजना के कम ब्याज वाले वित्तपोषण और अन्य लाभों को मेगा फूड पार्कों के इतर भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

जैसा कि 2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषित किया गया है, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक बैंक अथवा वित्तीय संस्थान की स्थापना में तेजी लाने की आवश्यकता है।

भाषा राजेश राजेश मनोहर

मनोहर