हिमाचल सरकार जल्द ही आलू के लिए समर्थन मूल्य घोषित करेगी: मुख्यमंत्री

हिमाचल सरकार जल्द ही आलू के लिए समर्थन मूल्य घोषित करेगी: मुख्यमंत्री

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  • Publish Date - June 12, 2025 / 09:32 PM IST,
    Updated On - June 12, 2025 / 09:32 PM IST

शिमला, 12 जून (भाषा) हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बृहस्पतिवार को यहां राज्य स्तरीय बहु-अंशधारक परामर्श सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए आलू के लिए समर्थन मूल्य (एमएसपी) जल्द ही घोषित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने ‘हिमाचल प्रदेश रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर नेटवर्क’ द्वारा आयोजित सम्मेलन में कहा कि राज्य सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है और ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा।

एक बयान में मुख्यमंत्री के हवाले से कहा गया है कि राज्य सरकार हरित ऊर्जा और प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दे रही है। प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है और आने वाले समय में इसे और बढ़ाया जाएगा।

प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आने वाले वर्ष में कई नई योजनाएं लागू की जाएंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के बाद हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है, तथा इसके मूल कारण का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं, तथा खानपान की आदतों में बदलाव भी ऐसे मामलों में वृद्धि का एक कारण हो सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्य की 80 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। कृषि हिमाचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, तथा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका योगदान लगभग 14 प्रतिशत है।

उन्होंने मौसम के बदलते स्वरूप पर भी चिंता व्यक्त की, जिसका कृषि क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु-सहिष्णु कृषि, दलहनों को बढ़ावा देने, व्यापक पशुपालन, पारंपरिक बीजों के अधिक उपयोग तथा जल सुरक्षा एवं मृदा संरक्षण पर जोर देने जैसे कदम उठाकर इन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सकता है।

प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए जाने वाले पारंपरिक बीज और फसलें पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती हैं, तथा इनमें पानी की भी कम आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऐसी पारंपरिक फसलों का पुनः उपयोग करने की आवश्यकता है, तथा भविष्य की पीढ़ियों के लिए पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान के माध्यम से इनमें और सुधार किए जाने की आवश्यकता है।’’

उन्होंने इस अवसर पर प्राकृतिक खेती के अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों की सराहना की तथा इस कृषि पद्धति को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी विस्तृत जानकारी दी।

पद्मश्री से सम्मानित नेक राम शर्मा ने जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के साथ-साथ मोटे अनाज के महत्व पर भी चर्चा की।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय