टाटा संस से मिस्त्री को हटाने का तरीका कंपनी निदेशन के नियमों का उल्लंघन: एस पी समूह

टाटा संस से मिस्त्री को हटाने का तरीका कंपनी निदेशन के नियमों का उल्लंघन: एस पी समूह

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Modified Date: November 29, 2022 / 07:59 PM IST
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Published Date: December 16, 2020 4:51 pm IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) शपूरजी पलोनजी (एस पी) समूह ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में साइरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाये जाने के तरीके पर सवाल उठाया। समूह ने दावा किया कि स्पष्ट रूप से यह कदम कंपनी के निदेशन के नियमों और गठन के उद्देश्य का उल्लंघन था।

एस पी समूह की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने मुख्य न्यायाधीश एस बोबडे, न्यायाधीश ए एस बोपन्ना और न्यायाधीश वी रामासुब्रमणियम की पीठ के समक्ष टाटा संस के चेयरमैन के चयन के महत्व के बारे में बताया। उसने कहा कि यह पद काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न महाद्वीपों में कई देशों में कई पक्षों को प्रभावित करता है।

उन्होंने टाटा संस के निदेशन के लिये बनाये गये नियम और कंपनी गठन के उद्देश्य (आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन) का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसके तहत प्रावधान किया गया है कि निदेशक मंडल चेयरमैन पद पर नियुक्ति के लिये व्यक्ति की सिफारिश को लेकर चयन समिति का गठन करेगा।

निदेशक मंडल सिफारिश के अनुसार संबंधित व्यक्ति को चेयरमैन नियुक्त कर सकता है। यह नियम 121 पर निर्भर है जिसके तहत सभी निदेशकों की वोट के रूप में इस पर मुहर लगनी चाहिए।

अधिवक्ता ने कहा कि यही नियम यह भी कहता है कि चेयरमैन को हटाने के लिये इसी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

दीवान ने पीठ के समक्ष कहा, ‘‘…जहां तक साइरस मिस्त्री को हटाये जाने का सवाल है, इस नियम का उल्लंघन किया गया है और इसीलिए यह स्पष्ट रूप से कंपनी के निदेशन के नियम और गठन के उद्देश्य का उल्लंघन था।’’

शीर्ष अदालत राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश के खिलाफ टाटा संस और साइरस इनवेस्टमेंट्स दोनों की याचिकाओं (क्रॉस अपील) पर सुनवाई कर रही है। अपीलीय न्यायाधिकरण ने 100 अरब डॉलर मूल्य के टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद पर साइरस मिस्त्री को बहाल किये जाने का आदेश दिया था।

उन्होंने अपनी दलील में कहा, ‘‘….एक नियंत्रण करने वाली इकाई के रूप में टाटा संस का दर्जा काफी महत्वपूर्ण है। इसका कारण यह है कि निदेशक मंडल में जो भी कदम उठाये जाते हैं, उसका असर अल्पांश शेयरधारकों, समूह की इकाइयों, कर्मचारियों तथा समूह की अन्य कंपनियों के शेयरधारकों पर पड़ता है।’’

दीवान ने एनसीएलएटी द्वारा रिकार्ड तथ्यों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मेरा अंतिम तर्क यह है कि आनुपातिक प्रतिनिधित्व जैसी राहत कंपनी कानून के अनुरूप है।’’

उहोंने यह भी कहा कि 24 अक्टूबर, 2016 को जब साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाया गया, रतन टाटा बोर्ड की बैठक शुरू होने के समय टाटा संस के निदेशक मंडल (बोर्ड) के सदस्य नहीं थे।

मामले में सुनवाई बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी।

भाषा

रमण मनोहर

मनोहर

 

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