बांग्लादेश से आयात से जूट क्षेत्र का संकट बढ़ा: अंशधारक

बांग्लादेश से आयात से जूट क्षेत्र का संकट बढ़ा: अंशधारक

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  • Publish Date - July 15, 2024 / 08:23 PM IST,
    Updated On - July 15, 2024 / 08:23 PM IST

कोलकाता, 15 जुलाई (भाषा) जूट आपूर्तिकर्ताओं के एक संगठन ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि बांग्लादेश से कच्चे माल का आयात चाहे मिलों द्वारा सीधे या तीसरे पक्ष के माध्यम से हो, उद्योग और किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

कपड़ा मंत्री को लिखे पत्र में जूट बेलर्स एसोसिएशन ने पड़ोसी देश से ‘‘कच्चे जूट के अनियमित आयात’’ और मिलों के लिए ‘‘कम ऑर्डर’’ के कारण घरेलू कच्चे जूट आपूर्तिकर्ताओं के लिए भुगतान का गंभीर संकट पैदा होने को लेकर चिंता जताई है।

भारतीय जूट मिल्स एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है और संकट से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से हस्तक्षेप की मांग की है।

जूट बेलर्स एसोसिएशन के सचिव पुलक झा ने पत्र में कहा, ‘‘वर्ष 2023-24 में बंपर फसल वर्ष के बावजूद, जहां घरेलू आपूर्ति पर्याप्त थी, मिलों ने बांग्लादेश से बड़ी मात्रा में कच्चे जूट का आयात जारी रखा है। अकेले जून, 2024 में 73,000 गांठें, या कुल 3,34,000 गांठों का 22 प्रतिशत आयात किया गया।’’

जूट बेलर्स एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी ओम प्रकाश सोनी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘एक जुलाई, 2024 तक जूट मौसम के लिए कच्चे जूट का 30 लाख गांठ का शुरुआती स्टॉक है और नई फसल भी आने वाली है। इन कारकों के कारण कीमतें, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिर गईं हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस ‘गोल्डन फाइबर’ की कीमतें 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे आ गईं, जबकि वर्ष 2024-25 के मौसम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,335 रुपये प्रति क्विंटल है।

खाद्यान्न पैकेजिंग के लिए बैग बनाने में आयातित जूट के उपयोग पर रोक लगी हुई है, लेकिन उद्योग के एक अंशधारक ने कहा कि ‘‘बांग्लादेश से सस्ते और निम्न-श्रेणी के जूट की आमद ने संकट को और बढ़ा दिया है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मिलों के सामने नकदी की समस्या होने के कारण, आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान में देरी हो रही है, जिससे किसानों से ताजा जूट खरीदने की उनकी क्षमता प्रभावित हो रही है।

सोनी ने मौजूदा स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘‘पहले से ही छह मिलें बंद हैं। मौजूदा बकाया करीब 1,400 करोड़ रुपये है, जिसमें से 400 करोड़ रुपये का बकाया मिलों से विरासत में मिला है।’’

एसोसिएशन ने अवैध जूट आयात पर कड़ी कार्रवाई करने और वैध प्रथाओं के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का आह्वान किया।

पत्र में कहा गया है, ‘‘लाखों लोगों की आजीविका दांव पर लगी है।’’ इसमें ‘‘अनियमित आयात’’ के खतरे को रोकने और कम ऑर्डर के मुद्दे को हल करने के लिए तत्काल सरकारी हस्तक्षेप का आग्रह किया गया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय