नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने बृहस्पतिवार को विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 के तहत एमईआईएस एवं एसईआईएस योजनाओं के लाभों के अनुचित आवंटन पर वाणिज्य मंत्रालय और सीमा-शुल्क विभाग को फटकार लगाते हुए कहा कि इससे करीब 724.96 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ।
कैग की यह रिपोर्ट मार्च, 2023 तक की अवधि के लिए इन दोनों योजनाओं के कार्यान्वयन के ऑडिट पर आधारित है। एमईआईएस योजना भारत से वस्तुओं के निर्यात के लिए थी जबकि एसईआईएस सेवाओं के निर्यात से संबंधित योजना थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि इन निर्यात योजनाओं के बंद होने के बाद भी कई लाइसेंस जारी किए गए, जिससे शुल्क क्रेडिट के रूप में सरकार को नुकसान उठाना पड़ा।
खासकर वस्त्र और तैयार उत्पादों के क्षेत्र में एमईआईएस के तहत अनुचित लाभ देने पर कैग ने डीजीएफटी को उपयुक्त वसूली की कार्रवाई शुरू करने के लिए कहा है।
एमईआईएस योजना के तहत लगभग 132.21 करोड़ रुपये के लाभ का दुरुपयोग पाया गया जबकि एसईआईएस योजना में 406.90 करोड़ रुपये के लाभ आवंटन में गलतियां पाई गईं।
इसके अलावा ‘अस्वीकृत इकाई सूची’ में शामिल कंपनियों और विशिष्ट पहचान से नाम का मेल नहीं पाई जाने वाली कंपनियों को भी अनुचित लाभ देना शामिल था, जिससे 185.85 करोड़ रुपये का राजस्व प्रभाव पड़ा।
कैग ने सिफारिश की है कि वाणिज्य विभाग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को स्वचालित करे और मानवीय हस्तक्षेप कम करे। इसके अलावा, सेवाओं के वर्गीकरण को सभी एजेंसियों में समान रूप से लागू करना और सत्यापन एवं अनुमोदन प्रक्रियाओं को मजबूत करना भी जरूरी है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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