बांग्लादेश से आयात पर भारत के बंदरगाह प्रतिबंध से एमएसएमई को मदद मिलेगी: विशेषज्ञ

बांग्लादेश से आयात पर भारत के बंदरगाह प्रतिबंध से एमएसएमई को मदद मिलेगी: विशेषज्ञ

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  • Publish Date - May 18, 2025 / 01:39 PM IST,
    Updated On - May 18, 2025 / 01:39 PM IST

नयी दिल्ली, 18 मई (भाषा) भारत के कुछ बांग्लादेशी वस्तुओं पर लगाए गए प्रतिबंधों से घरेलू रेडीमेड (सिलेसिलाए) कपड़ा उद्योग, विशेष रूप से एमएसएमई को अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

भारत ने 17 मई को बांग्लादेश से 77 करोड़ डॉलर के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जो द्विपक्षीय आयात का लगभग 42 प्रतिशत था। परिधान, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और प्लास्टिक की वस्तुओं जैसे प्रमुख सामान अब चुनिंदा समुद्री बंदरगाहों तक सीमित हैं या भूमि मार्गों से पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं।

कुल 61.8 करोड़ डॉलर मूल्य के सिलेसिलाए कपड़ों को अब केवल दो भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से सख्त मार्ग का सामना करना पड़ रहा है। यह बांग्लादेश के भारत के लिए सबसे मूल्यवान निर्यात चैनल को गंभीर रूप से सीमित करता है।

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा, “भारतीय कपड़ा कंपनियों ने लंबे समय से बांग्लादेशी निर्यातकों द्वारा प्राप्त प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त का विरोध किया है, जो शुल्क मुक्त चीनी कपड़े के आयात और निर्यात सब्सिडी से लाभान्वित होते हैं, जिससे उन्हें भारतीय बाजार में 10-15 प्रतिशत मूल्य लाभ मिलता है।”

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि बंदरगाहों पर प्रतिबंध से कपड़ा क्षेत्र के भारतीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों) को मदद मिलेगी।

परिधान निर्यात संवर्धन परिषद (एईपीसी) के उपाध्यक्ष ए शक्तिवेल ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहा कि घरेलू निर्यातकों की मांग थी कि ये प्रतिबंध लगाए जाएं।

शक्तिवेल ने कहा, “भारत सरकार द्वारा लिया गया यह एक अच्छा निर्णय है। इससे घरेलू उद्योग को लाभ होगा।”

यह कदम बांग्लादेश द्वारा भारतीय धागे, चावल और अन्य वस्तुओं पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में उठाया गया है।

श्रीवास्तव ने कहा कि भले ही बांग्लादेश, चीन के करीब जा रहा है, लेकिन भारत को बातचीत के लिए दरवाज़ा बंद नहीं करना चाहिए।

उन्होंने कहा, “बड़े पड़ोसी और क्षेत्रीय शक्ति के रूप में, भारत पर धैर्य के साथ नेतृत्व करने, संवाद को खुला रखने और व्यापार को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से बचने की बड़ी जिम्मेदारी है। कूटनीति और आर्थिक सहयोग के माध्यम से विश्वास का पुनर्निर्माण अब भी संभव है।”

भाषा अनुराग अजय

अजय