नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) भारत के पर्यटन क्षेत्र को अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की क्षमताओं को मजबूत करने, गंतव्य स्थलों के बुनियादी ढांचे में सुधार और सेवा गुणवत्ता बढ़ाने सहित अधिक लक्षित एवं समग्र परिवेश आधारित दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। क्रिसिल इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
‘आजीविका के लिए पर्यटन: भारत में वृद्धि के चक्रों का निर्माण’ (टूरिज्म फॉर लाइवलीहुड्स: बिल्डिंग सर्किट्स ऑफ ग्रोथ इन इंडिया) शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू पर्यटन क्षेत्र आजीविका का बड़ा स्रोत होने के बावजूद आपूर्ति-पक्ष की कमजोर परिस्थितियों के कारण अपने आर्थिक मूल्य की पूरी क्षमता साकार नहीं कर पाया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘सांस्कृतिक समृद्धि एवं प्राकृतिक विविधता के साथ-साथ भारत के पास उद्यमशील आधार तथा घरेलू मांग है जिससे वह वैश्विक पर्यटन शक्ति बन सकता है। आपूर्ति-पक्ष की बुनियाद को मजबूत करने और उच्च-मूल्य मांग को खोलने के लिए केंद्रित सुधारों से पर्यटन क्षेत्र उच्च गुणक वाला आजीविका इंजन बन सकता है जिससे ग्रामीण एवं शहरी भारत में लाखों परिवारों की आय बढ़ेगी।’’
वर्ष 2024 में पर्यटन देश का सबसे बड़ा गैर-कृषि रोजगार प्रदाता रहा जिसमें 13 प्रतिशत कार्यबल को काम दिया। इस दौरान 2.96 अरब पर्यटक आएं। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या के बावजूद यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में केवल पांच प्रतिशत का योगदान दे सका जो वैश्विक औसत 10 प्रतिशत से काफी कम है। यह पर्यटक आगमन एवं मूल्य सृजन के बीच बनी खाई को दर्शाता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत वैश्विक स्तर पर कुल अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों का केवल 1.4 प्रतिशत ही आकर्षित करता है जबकि इनमें से करीब एक-तिहाई भारतीय प्रवासी होते हैं जो मुख्य रूप से परिवार और मित्रों से मिलने आते हैं न कि अवकाश पर्यटन के लिए।
उच्च-मूल्य पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत को उच्च आय वाले देशों के अधिक व्यय करने वाले पर्यटकों को आकर्षित करना होगा। साथ ही घरेलू पर्यटकों को देश में ही बनाए रखना भी जरूरी है क्योंकि भारतीयों का विदेशों में पर्यटन व्यय वित्त वर्ष 2023-24 में बढ़कर 17 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि मालदीव जैसा आकर्षण रखने वाले लक्षद्वीप जैसे गंतव्यों के जरिये घरेलू पर्यटन पेशकशों से इस खर्च का बड़ा हिस्सा देश में ही रोका जा सकता है।
पर्यटन क्षेत्र की पूरी क्षमता हासिल करने के लिए रिपोर्ट में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये सर्किट आधारित बुनियादी ढांचे के उन्नयन, विश्वस्तरीय प्रमुख गंतव्य केंद्रों के विकास, बेहतर योजना एवं नियमन के माध्यम से सुरक्षा, स्वच्छता व आवागमन में सुधार आदि जैसे लक्षित उपाय सुझाए गए हैं।
इसके अलावा एमएसएमई, स्वयं सहायता समूहों, कारीगरों, होम-स्टे, डिजिटल मार्केटिंग, मजबूत ब्रांडिंग और डिजिटल प्रचार आदि के साथ पर्यटन एमएसएमई के लिए लक्षित वित्तपोषण और ऋण सुविधा की भी सिफारिश की गई है।
क्रिसिल इंटेलिजेंस की वरिष्ठ निदेशक एवं आकलन प्रमुख बिनैफर जेहानी ने कहा, ‘‘ पर्यटन पहले से ही भारत के लिए एक बड़ा आजीविका स्रोत है लेकिन इसकी आर्थिक क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाया है।’’
उन्होंने कहा कि चुनौती, मांग उत्पन्न करने की नहीं बल्कि पर्यटन स्थलों पर मौजूद बुनियादी परिस्थितियों एवं सुविधाओं, सेवा मानकों, सुरक्षा धारणा एवं यात्रा की सुगमता जैसी सक्षम परिस्थितियों को मजबूत करने की है ताकि उच्च मांग को वास्तविक आर्थिक मूल्य में तब्दील किया जा सके।
भाषा निहारिका रमण
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