पी-नोट्स के जरिये निवेश में तेजी जारी, अगस्त में 10 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा

पी-नोट्स के जरिये निवेश में तेजी जारी, अगस्त में 10 महीने के उच्च स्तर पर पहुंचा

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  • Publish Date - September 17, 2020 / 12:31 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:53 PM IST

नयी दिल्ली, 17 सितंबर (भाषा) इस साल अगस्त महीने के अंत तक घरेलू पूंजी बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये निवेश 74 हजार करोड़ रुपये के पार हो गया। यह 10 महीने का उच्चतम स्तर है।

यह लगातार पांचवां ऐसा महीना रहा, जब पी-नोट्स के जरिये निवेश में तेजी आयी है। इससे घरेलू पूंजी बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के बढ़ते भरोसे का पता चलता है।

पी-नोट्स पंजीकृत एफपीआई द्वारा विदेशी निवेशकों को जारी किये जाते हैं, जो सीधे पंजीकरण के बिना भारतीय शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं। हालांकि, उन्हें एक उचित वैधानिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों में पी-नोट्स निवेश का मूल्य ‘इक्विटी, डेट, हाइब्रिड सिक्योरिटीज और डेरिवेटिव’ में अगस्त-अंत तक 74,027 करोड़ रुपये रहा, जबकि जुलाई के अंत में यह 63,228 करोड़ रुपये था। यह अक्टूबर 2019 के बाद पी-नोट्स निवेश का उच्चतम स्तर है। तब ऐसे निवेश का कुल मूल्य 76,773 करोड़ रुपये था।

सेबी में पंजीकृत पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा प्रदाता ग्रीन पोर्टफोलियो के सह-संस्थापक दिवम शर्मा ने कहा, ‘‘मार्च 2020 में पी-नोट्स निवेश के 15 साल के निचले स्तर के बाद से इसके माध्यम से एफपीआई निवेशकों की बढ़ती भागीदारी से उनके बढ़ते भरोसे का पता चलता है।’’

इससे पहले अप्रैल, मई और जून महीने के अंत तक पी-नोट्स के माध्यम से निवेश का स्तर क्रमश: 57,100 करोड़ रुपये, 60,027 करोड़ रुपये और 62,138 करोड़ रुपये रहा।

मार्च 2020 में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश 15 साल से अधिक समय के निचले स्तर 48,006 करोड़ रुपये पर आ गया था।

अगस्त तक किये गये 74,027 करोड़ रुपये के कुल निवेश में से इक्विटी में 62,811 करोड़ रुपये, रिण पत्रों में 10,677 करोड़ रुपये, हाइब्रिड सिक्योरिटीज में 338 करोड़ रुपये और डेरिवेटिव खंड में 202 करोड़ रुपये निवेश किये गये।

अगस्त अंत तक एफपीआई का कुल निवेश भी जुलाई अंत के 31.68 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 33.18 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

भाषा

सुमन महाबीर

महाबीर