नयी दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) ने बुधवार को सरकार से आग्रह किया कि वह खाद्य तेलों के लिए मानकीकृत पैकेजिंग आवश्यकताओं को बहाल करे ताकि पारदर्शिता और उपभोक्ता विश्वास में सुधार किया जा सके।
इससे पहले, खाद्य तेलों को कानूनी माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम, 2021 के अनुसार युनिट सेल प्राइस की घोषणा को अनिवार्य किया गया था। इसके बाद एक संशोधन के माध्यम से विधिक माप विज्ञान (डिब्बाबंद जिंस) नियम, 2022 के द्वारा अनुसूची दो को हटा दिया गया।
इसका मकसद उत्पादकों को अपनी इच्छानुसार पैकिंग करने की अनुमति देना था और उम्मीद थी कि जल्द ही बाजार स्थिर हो जाएंगे और इकाई बिक्री मूल्य के बारे में उपभोक्ता जागरूकता, गैर-मानक पैक पेशकशों का ध्यान रखेगी।
आईवीपीए ने एक बयान में कहा, ‘‘हालांकि, उपभोक्ताओं को अब ढेर सारे ब्रांड और पैक विकल्पों का सामना करना पड़ रहा है जो समान दिखते हैं लेकिन मात्रा में भिन्न होते हैं। इससे भ्रम पैदा होता है और कई बार मूल्य को लेकर भ्रामक धारणा होती है।’’
बयान में कहा गया है कि इकाई बिक्री मूल्य (यूएसपी) की उपस्थिति के बावजूद, शुद्ध वजन में छोटे अंतर अक्सर ध्यान में नहीं आते, जिससे रोजमर्रा के निर्णय लेने में इस सुरक्षा उपाय की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
आईवीपीए ने मांग की कि ‘‘सरकार को मानक पैक आकार (5 किग्रा, 2 किग्रा, 1 किग्रा, 500 ग्राम, 200 ग्राम या किसी अन्य कम आकार के पैक जैसी रेंज) को फिर से लागू करना चाहिए क्योंकि यह उपभोक्ता परिवेश को मजबूत करने की दिशा में एक रचनात्मक कदम होगा।’’
इसमें कहा गया है कि यह पारदर्शिता, निष्पक्ष व्यापार गतिविधियों और उपभोक्ता सशक्तिकरण के सरकार के व्यापक लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाता है।
उद्योग निकाय ने कहा कि खाद्य तेल हर घर की जरूरत है और पैकेजिंग पर स्पष्ट और जरूरी जानकारी होनी चाहिए।
उसने कहा कि मानकीकृत पैकेजिंग सुनिश्चित करती है कि कीमतों की तुलना सरल, पारदर्शी और निष्पक्ष हो। यह उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों को बराबरी का समान अवसर देता है, जो विश्वास और दीर्घकालिक ब्रांड मूल्य को प्रोत्साहित करता है।
भाषा राजेश राजेश रमण
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