नीति आयोग के एसडीजी भारत सूचकांक में केरल शीर्ष पर, MP 14वें से 17वें पायदान पर पहुंचा, बिहार का सबसे खराब प्रदर्शन

नीति आयोग के एसडीजी भारत सूचकांक में केरल शीर्ष पर, MP 14वें से 17वें पायदान पर पहुंचा, बिहार का सबसे खराब प्रदर्शन

नीति आयोग के एसडीजी भारत सूचकांक में केरल शीर्ष पर, MP 14वें से 17वें पायदान पर पहुंचा, बिहार का सबसे खराब प्रदर्शन
Modified Date: November 29, 2022 / 08:59 pm IST
Published Date: June 3, 2021 4:02 pm IST

नयी दिल्ली, (भाषा) नीति आयोग के सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) भारत सूचकांक 2020-21 में केरल ने शीर्ष स्थान बरकरार रखा है, जबकि इसमें बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। मध्यप्रदेश की बात करे तो आर्थिक और औद्योगिक विकास और क्वाटलिटी एजुकेशन में पिछड़ा हुआ है। वहीं नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश 14वें से 17वें पायदान पर पहुंचा गया है। 

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सतत विकास लक्ष्यों के इस सूचकांक (एसडीजी) में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मापदंडों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है। देश के स्तर पर एसडीजी स्कोर 2020-21 में छह अंकों के सुधार के साथ 60 से बढ़कर 66 अंक रहा है।

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मध्यप्रदेश में 8वीं तक स्कूल में प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या भी घटी है। 10वीं कक्षा से पहले पढ़ाई छोड़ने वालों छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ है। रोड कनेक्टिविटी के लिए नहीं हुए बेहतर प्रयास, इंफ्रास्ट्रक्चर में भी MP पिछड़ा है।

नीति आयोग ने एक बयान में कहा कि देश भर में मुख्य रूप से स्वच्छ जल एवं स्वच्छता और सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अनुकरणीय प्रदर्शन से प्रेरित होकर लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में सकारात्मक प्रयास किया गया।

एक रिपोर्ट के अनुसार केरल ने 75 अंक के साथ शीर्ष राज्य के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा, जबकि 74 अंक के साथ हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु को दूसरा स्थान मिला।

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इस साल के सूचकांक में बिहार, झारखंड और असम सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने गुरुवार को भारत एसडीजी सूचकांक का तीसरा संस्करण जारी किया।

केंद्र शासित प्रदेशों में 79 अंक के साथ चंड़ीगढ़ शीर्ष पर रहा, जिसके बाद 68 अंक के साथ दिल्ली का स्थान रहा।

वर्ष 2020-21 में अपने स्कोर को बेहतर बनाने में मिजोरम, हरियाणा और उत्तराखंड सबसे आगे रहे। उनके आंकड़े में क्रमश: 12, 10 और आठ अंक का सुधार हुआ।

जहां 2019 में 65 से 99 अंक का स्कोर हासिल करने वाले सबसे आगे रहने वाले राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में 10 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे, वहीं इस बार इसमें 12 और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इसमें जगह बनायी।

उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, दिल्ली, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने 65 से 99 अंक के दायरे में स्कोर हासिल कर दौड़ में आगे रहने वाले राज्यों का स्थान प्राप्त किया।

स्वास्थ्य क्षेत्र के लक्ष्यों के लिहाज से गुजरात और दिल्ली क्रमश: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची में पहले स्थान पर रहे। वहीं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में इन दोनों श्रेणियों में क्रमश: केरल और चंडीगढ़ सबसे ऊपर रहे। गरीबी नहीं लक्ष्य के तहत तमिलनाडु और दिल्ली शीर्ष पर थे। विषमताओं में कमी के मामले में मेघालय और चंडीगढ़ ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। दोनों को 100 अंक मिले।

कुमार ने कहा, ‘‘एसडीजी भारत सूचकांक के जरिए एसडीजी की निगरानी के हमारे प्रयास को दुनिया भर में व्यापक रूप से सराहा गया है। एसडीजी पर एक समग्र सूचकांक की गणना करके हमारे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को श्रेणीबद्ध करने के लिए यह एक दुर्लभ डेटा आधारित पहल है।’’

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, ‘‘यह रिपोर्ट हमारे एसडीजी प्रयासों के दौरान तैयार की गई साझेदारी और उसकी मजबूती को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि किस तरह मिलकर की गई पहलों के जरिए बेहतर नतीजे पाए जा सकते हैं।’’

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने साझेदारियों की थीम को लेकर कहा, ‘यह साफ है कि साथ मिलकर हम एक ज्यादा मजबूत और सतत भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जिसमें कोई पीछे नहीं छूटेगा।’

इस सूचकांक की शुरुआत दिसंबर 2018 में हुई थी और यह देश में एसडीजी पर प्रगति की निगरानी के लिए प्रमुख साधन बन गया है।

पहले संस्करण 2018-19 में 13 उद्देश्य, 39 लक्ष्यों और 62 संकेतकों को शामिल किया गया था, जबकि इस तीसरे संस्करण में 17 ध्येय, 70 लक्ष्यों और 115 संकेतकों को शामिल किया गया।


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