सैन्य खर्च को जीडीपी के तीन प्रतिशत पर मानकीकृत करने, रक्षा कोष बनाने की जरूरत: रिपोर्ट
सैन्य खर्च को जीडीपी के तीन प्रतिशत पर मानकीकृत करने, रक्षा कोष बनाने की जरूरत: रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 30 जून (भाषा) भारत को अपने सैन्य खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर मानकीकृत करने, बिना समाप्ति अवधि के रक्षा आधुनिकीकरण कोष बनाने के साथ घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर विचार करना चाहिए। परामर्श समेत विभिन्न प्रकार की पेशेवर सेवाएं देने वाली ईवाई की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
ईवाई इकनॉमी वॉच के जून संस्करण में दूरदर्शी रक्षा बजट रणनीति की जरूरत बताई गई है। इससे एक अधिक मजबूत और बेहतर रक्षा बुनियादी ढांचा तैयार होगा और भारत उभरती भू-राजनीतिक और तकनीकी चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होगा।
इसमें कहा गया, ‘‘पिछले कुछ वर्षों में, जीडीपी के प्रतिशत के रूप में भारत का सैन्य खर्च धीरे-धीरे कम हुआ है। 2000 के दशक की शुरुआत में यह तीन प्रतिशत के करीब था जो आज दो प्रतिशत से थोड़ा अधिक है। वहीं अमेरिका और रूस जैसे देशों में इस मद में अधिक अनुपात में आवंटन बना हुआ है हैं।’’
ईवाई की रिपोर्ट में दीर्घकालीन आर्थिक वृद्धि गुणक को गति देने के लिए रक्षा मद में आवंटन को जीडीपी के तीन प्रतिशत पर मानकीकृत करने, सतत रूप से काम करने वाला रक्षा आधुनिकीकरण कोष बनाने और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की गयी है।
इसके साथ, रक्षा बजट के पूंजी व्यय को बढ़ाने, खरीद प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करने और रक्षा-संबंधी अनुसंधान और विकास पर जोर देने की आवश्यकता है।
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार, डी के श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘रक्षा व्यय को जीडीपी के तीन प्रतिशत पर मानकीकृत करने और सतत रूप से काम करने वाला आधुनिकीकरण कोष को बनाने से उन्नत प्रौद्योगिकी में निवेश करने, घरेलू रक्षा विनिर्माण परिवेश को मजबूत करने और नवोन्मेष आधारित खरीद को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी निवेश को लेकर राजकोष के मोर्चे पर स्थिति ज्यादा साफ होगी।’’
उल्लेखनीय है कि 15वें वित्त आयोग ने रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए बिना समाप्ति अवधि के आधुनिकीकरण कोष (एमएफडीआईएस) बनाने का प्रस्ताव दिया था। इस कोष का वित्तपोषण विनिवेश आय, अधिशेष रक्षा भूमि को बाजार पर चढ़ाने और स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से पूरा करने का सुझाव दिया गया था।
भाषा रमण अजय
अजय

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