नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने वोल्टास के खिलाफ एक अर्जी खारिज कर दी है। इसमें टाटा समूह की कंपनी के खिलाफ उसके एक परिचालन ऋणदाता द्वारा दिवाला कार्यवाही शुरू करने की अपील की गई थी।
एनसीएलएटी की दो सदस्यों वाली पीठ ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ के पहले के आदेशों को बरकरार रखा है, जिसने 27 मई, 2025 को पहले से मौजूद विवाद के आधार पर अर्जी खारिज कर दी थी।
एनसीएलएटी ने एनसीएलटी के निष्कर्षों को उचित ठहराते हुए कहा कि उसने अपील करने वाली एयर वेव टेक्नोक्राफ्ट्स और वोल्टास के बीच ई-मेल के आदान-प्रदान के आधार पर इस मौजूदा जारी विवाद मानने में कोई गलती नहीं की है। यह कार्य प्रमाणन, राशि और उससे जुड़े दस्तावेजों से संबंधित है।
एनसीएलएटी ने कहा, ‘‘हमें इस मामले में एनसीएलटी के नजरिये से अलग रुख अपनाने का कोई कारण नहीं दिखता, जिसने पहले से मौजूद विवादों के सही आधार पर धारा-9 आवेदन को खारिज कर दिया था। नतीजतन, हमें अपील में कोई दम नहीं मिला। हमें विवादित आदेश में दखल देने का कोई कारण नहीं मिला। अपील खारिज की जाती है।’’
एनसीएलएटी का यह आदेश एयर वेव टेक्नोक्राफ्ट्स की एक याचिका पर आया है, जिसे वोल्टास ने अपने ग्राहकों को अलग-अलग वर्क साइट पर मौजूद ‘सी’ (हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर-कंडीशनिंग) प्रणाली के परिचालन और रखरखाव के लिए सेवा देने के लिए नियुक्त किया था। इस मकसद के लिए वोल्टास के पास एक रनिंग खाता रखा गया था।
भुगतान तंत्र के बारे में बताते हुए, परिचालन ऋणदाता ने दी गई सेवा के भुगतान के लिए इनवॉइस बनाए, जिन्हें ईएसआई/पीएफ चालान और मजदूरी रजिस्टर वगैरह जैसे जरूरी दस्तावेज के साथ वोल्टास को भेजा गया।
वोल्टास जरूरी सत्यापन के बाद इन इनवॉइस/दस्तावेजों को अपने ग्राहकों को भेज देती थी।
एक बार जब ग्राहक स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) काटने के बाद वोल्टास को भुगतान जारी कर देता था तो टाटा समूह की कंपनी बदले में, कुछ रकम ‘रिटेंशन मनी’ के तौर पर रोककर शेष राशि अपीलकर्ता कंपनी को जारी कर देती थी।
याचिका में कहा गया था कि वोल्टास बाद में अपनी भुगतान प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रही।
भाषा अजय अजय
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