एनजीटी का गुजरात में नवलखी बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजना की मंजूरी रद्द करने से इनकार

एनजीटी का गुजरात में नवलखी बंदरगाह आधुनिकीकरण परियोजना की मंजूरी रद्द करने से इनकार

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  • Publish Date - June 14, 2021 / 10:59 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:49 PM IST

नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुजरात में नवलखी बंदरगाह के आधुनिकीकरण के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी को रद्द करने से इनकार कर दिया। आधुनिकीकरण परियोजना में गुजरात मैरिटाइम बोर्ड द्वारा मौजूदा सुविधाओं का मशीनीकरण और एक नये जेटी का निर्माण शामिल है।

एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति ए के गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि पूर्व में जो भी उल्लंघन हुए हों, पर्यावरण संबंधी विवादित मंजूरी उचित मूल्यांकन और जरूरी प्रक्रिया का पालन करने के बाद दी गयी।

अधिकरण ने कहा कि बिना किसी प्रभाव आकलन के किया गया यह दावा कि बंदरगाह 1939 से अस्तित्व में है और परियोजना के प्रस्तावक ने पूर्व में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन किया था, विवादित मंजूरी में हस्तक्षेप करने का आधार नहीं हो सकता।

पीठ ने कहा, ‘साथ ही यह दावा कि 14 मार्च, 2017 की तारीख वाली पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुरूप उल्लंघन के मामले के तौर पर प्रस्ताव का मूल्यांकन किया जाना चाहिए था, भी विवादित पर्यावरण मंजूरी में हस्तक्षेप करने का आधार नहीं हो सकता। यह तब महत्वपूर्ण हो सकता है जब राज्य स्तर पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए) के बजाय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के लिए मूल्यांकन जरूरी हो। इसलिए हमें विवादित पर्यावरण मंजूरी में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं दिखता।’

हालांकि अधिकरण ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी सी पटेल की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया जो पर्यावरण सुरक्षा के लिए अपनाए जाने वाले उपायों की जरूरत पर ध्यान देगी।

एनजीटी ने कहा कि समिति को किसी दूसरे विशेषज्ञ संस्थान या व्यक्ति की मदद लेने की आजादी होगी। अधिकरण ने पर्यावरण मंत्रालय को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के जरिये दो सप्ताह में समिति के समक्ष प्रस्तुति देने की मंजूरी दे दी।

गुजरात राज्य पीसीबी समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसी होगा।

नवलखी बंदरगाह कच्छ की खाड़ी के दक्षिणपश्चिमी छोर पर हंसस्थल क्रीक में स्थित है और मोरबी से 45 किलोमीटर एवं कांडला से 160 किलोमीटर दूर है।

भाषा प्रणव मनोहर अजय

अजय