लाभांश भुगतान के बाद तेल कंपनियों के पास कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिये बहुत कम नकदी बचेगी: मूडीज

लाभांश भुगतान के बाद तेल कंपनियों के पास कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिये बहुत कम नकदी बचेगी: मूडीज

लाभांश भुगतान के बाद तेल कंपनियों के पास कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिये बहुत कम नकदी बचेगी: मूडीज
Modified Date: November 29, 2022 / 08:37 pm IST
Published Date: October 5, 2020 12:28 pm IST

नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर (भाषा) सरकारी तेल कंपनियों (एनओसी) से शेयरधारकों को बड़े लाभांश के भुगतान के बाद इन कंपनियों के पास कार्बन उत्सर्जन कम करने संबंधी जरूरी निवेश के लिये बहुत कम नकदी ही शेष बचेगी। मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने सेमवार को यह कहा।

सरकार ने तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) जैसी सरकारी तेल कंपनियों को उनके शुद्ध लाभ का कम से कम 30 प्रतिशत तक शेयरधारकों को लाभांश के तौर पर देने को कहा है। कंपनियों द्वारा इस प्रकार के भुगतान का सरकार को सीधा फायदा होता है। सरकार इन कंपनियों में खुद सबसे बड़ी शेयरधारक है। इसके साथ ही लाभांश भुगतान पर सरकार को कर भी प्राप्त होता है।

मूडीज सर्विस ने एक नई रिपोर्ट में कहा है कि ऊर्जा क्षेत्र में आ रहे बदलावों से दुनिया की विभिन्न राष्ट्रीय तेल कंपनियों के लिये विभिन्न प्रकार के साख जोखिम हो सकते हैं।

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उसने कहा, ‘‘भारत सरकार भी तेल कंपनियों से लाभांश के तौर पर बड़ी राशि को खींच लेती है जिसके बाद इन कंपनियों के पास निम्न कार्बन विकल्पों में अर्थपूर्ण निवेश करने के वास्ते बहुत कम राशि ही बचती है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, भारत में नवीनीरण क्षेत्र में उल्लेखनीय निवेश वृद्धि हुई है, यह निवेश सरकारी कंपनियों अथवा निजी क्षेत्र की कंपनियों ने किया है। इसमें राष्ट्रीय तेल कंपनियों की तरफ से ज्यादा निवेश नहीं हुआ है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता है। पूरी दुनिया में होने वाली खपत का करीब पांच प्रतिशत तेल खपत भारत में होती है। इस खपत को पूरा करने के लिये भारत विदेश से होने वाले आयात पर निर्भर है।

मूडीज का कहना है कि भारत की ऊर्जा क्षेत्र की रणनीति यह है कि वह नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाकर अपनी ऊर्जा क्षमता को बेहतर बनाना चाहता है और हाइड्रोकार्बन आयात में कमी लाना चाहता है। हालांकि, उसका कहना है कि भारत की जीवाश्म ईंधन की खपत में लगातार वृद्धि होती रहेगी और वर्ष 2040 तक उसका तेल एवं गैस का आयात जारी रहेगा।

भाषा

महाबीर मनोहर

मनोहर


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