विदेशी में भाव मजबूत होने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

विदेशी में भाव मजबूत होने से तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

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  • Publish Date - July 9, 2022 / 04:54 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

नयी दिल्ली, नौ जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों की तेजी को देखते हुए दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज शुक्रवार रात को लगभग 1.5 प्रतिशत मजबूत बंद हुआ था। वहां बरसात कम होने के कारण सोयाबीन दाना, तेल और सोयाबीन डीआयल्ड केक (डीओसी) के दाम चढ़े हुए हैं। विदेशी बाजारों की इस तेजी से यहां सोयाबीन डीगम, सीपीओ और पामोलीन जैसे आयातित तेल के अलावा देशी तेल तिलहन कीमतों पर भी अनुकूल असर हुआ।

सूत्रों ने कहा कि चालू खरीफ मौसम में अभी तक सोयाबीन और मूंगफली की बिजाई के रकबे में कमी होने की खबर है क्योंकि किसान आगे अपनी फसल बिकने को लेकर आशंकित हैं। तेल उद्योगों के इंदौर स्थित प्रमुख संगठन ‘सोपा’ ने भी सरकार से कहा था कि देश में डीओसी का पर्याप्त स्टॉक है। इस स्थिति के बावजूद सोयाबीन डीओसी का आयात 30 सितंबर 2022 तक खोले जाने से किसानों को घरेलू डीओसी के निर्यात करने की संभावना तो दूर, देश के डीओसी स्टॉक के खपने को लेकर चिंता बढ़ गई है और संभवत: इसी कारण इस बार अभी तक सोयाबीन बुवाई के रकबे में कमी है। क्योंकि सोयाबीन से, तेल के अलावा लगभग 82 प्रतिशत डीओसी प्राप्त होते हैं जिसका मुर्गीदाने के लिए निर्यात होता है और इससे किसानों को अलग से आय होती हैं। लेकिन जब डीओसी का स्टॉक होने के बावजूद बाहर के देशों से डीओसी का आयात खोल देने जैसे फैसले होंगे तो किसानों को उनकी फसल निर्यात होने का भरोसा कैसे मिलेगा?

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में जब आयातित तेलों के दाम आसमान छू रहे थे, उस वक्त (मार्च, अप्रैल, मई 2022) सरसों, मूंगफली जैसे तेल तिलहनों ने स्थिति को संभालने में मदद की क्योंकि देशी तेल तिलहन उस समय सस्ते थे। सूत्रों ने कहा कि अगर खाद्यतेल मामले में आयात पर ही निर्भर होना है तो फिर किसी फैसले पर सवाल उठाने का प्रश्न ही नहीं है लेकिन अगर तेल तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है तो हमें स्थिति पर बारीक निगरानी रखने के साथ सतर्क रहना होगा।

सूत्रों ने कहा कि आयातकों की हालत बुरी है क्योंकि जिस भाव पर उन्होंने सोयाबीन डीगम और सीपीओ के लाखों टन सौदे मंगा रखे थे, विदेशों में अचानक भाव लड़खड़ाने के बाद उन्हें अपने सौदों को आयात भाव के मुकाबले काफी कम कीमत पर बेचने की बाध्यता हो रही है। इसके अलावा आगे के सौदों की खरीद के लिए बैंकों में जो ऋण साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) खुलवाते थे, आयातक अब अपने सौदों से मुकर रहे हैं। बैंक भी अब उन्हें ‘लेटर आफ क्रेडिट’ जारी करने में हिचकिचा रहे हैं क्योंकि पहले के ऋण की वापसी की संभावनायें धूमिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरसों की मंडियों में आवक लगातार कम होती जा रही है। शनिवार को मंडियों में सरसों की आवक घटकर 1.20 लाख से 1.50 लाख बोरी रह गई है। आने वाले दिनों में सरसों की मांग बढ़ेगी और दिक्कत देखने को मिल सकती है क्योंकि इस बार ‘स्टॉक लिमिट’ के भय से किसी के पास सरसों का स्टॉक नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेल-तिलहन के मामले में केवल उत्पादन बढ़ाकर ही आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है।

शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,295-7,345 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,710 – 6,835 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,530 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,610 – 2,800 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,315-2,395 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,355-2,460 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 6,350-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 6,050- 6,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय