ओपनएआई ने भारत में 399 रुपये प्रति माह की ‘चैटजीपीटी गो’ सदस्यता पेश की

ओपनएआई ने भारत में 399 रुपये प्रति माह की ‘चैटजीपीटी गो’ सदस्यता पेश की

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  • Publish Date - August 19, 2025 / 10:40 AM IST,
    Updated On - August 19, 2025 / 10:40 AM IST

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) ओपनएआई ने भारत में चैटजीपीटी गो की घोषणा की है जिसकी सदस्यता 399 रुपये प्रति महीने से शुरू होती है।

कंपनी ने घोषणा की कि सभी चैटजीपीटी सदस्यता का भुगतान यूपीआई के माध्यम से किया जा सकेगा, जिससे समूचे भारत के उपयोगकर्ताओं के लिए ओपनएआई के उन्नत एआई उपकरणों तक पहुंच आसान हो जाएगी।

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘ ओपनएआई, चैटजीपीटी गो की शुरुआत कर रहा है, जो एक नई सदस्यता योजना है। इसे समूचे भारत में उपयोगकर्ताओं के लिए उन्नत एआई उपकरणों को अधिक सुलभ और किफायती बनाने के लिए तैयार किया गया है, क्योंकि ओपनएआई के उपकरणों को अपनाने की प्रवृत्ति पूरे देश में तेजी से बढ़ रही है।’’

नई योजना मौजूदा सदस्यता स्तरों के अतिरिक्त है, जिसमें चैटजीपीटी प्लस (1,999 रुपये प्रति माह) शामिल है। उन पेशेवरों एवं उद्यमों के लिए जिन्हें उच्च पैमाने, अनुकूलन एवं सबसे उन्नत मॉडल तक पहुंच की आवश्यकता है उनके लिए ओपनएआई के पास चैटजीपीटी प्रो (19,900 रुपये प्रति माह) है।

भारत चैटजीपीटी का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है।

चैटजीपीटी के उपाध्यक्ष एवं प्रमुख निक टर्ली ने कहा कि ओपनएआई इस बात से प्रेरित है कि भारत में लाखों लोग सीखने, काम करने, रचनात्मकता और समस्या का समाधान तलाशने के लिए प्रतिदिन चैटजीपीटी का इस्तेमाल करते हैं।

टर्ली ने कहा, ‘‘ चैटजीपीटी गो के साथ हम इन क्षमताओं को और भी अधिक सुलभ बनाने तथा यूपीआई के माध्यम से भुगतान को और भी आसान बनाने के लिए उत्साहित हैं।’’

मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सैम ऑल्टमैन ने इस महीने की शुरुआत में कहा था अमेरिका के बाद भारत वर्तमान में ओपनएआई का सबसे बड़ा बाजार है और जल्द ही वैश्विक स्तर पर यह इसका सबसे बड़ा बाजार बन सकता है।

ऑल्टमैन ने कहा था, ‘‘ अमेरिका के बाद भारत दुनिया में हमारा दूसरा सबसे बड़ा बाजार है और यह हमारा सबसे बड़ा बाजार बन सकता है। यह अविश्वसनीय रूप से तेजी से बढ़ रहा है। साथ ही उपयोगकर्ता कृत्रिम मेधा (एआई) का जिस तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, भारत के नागरिक जैसे इसका उपयोग कर रहे हैं, वह वाकई बेहद अदभुत है।’’

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा