गरीब-समर्थक, उद्योग-अनुकूल नीतियां एआई के युग में भी प्रासंगिक: मांडविया

गरीब-समर्थक, उद्योग-अनुकूल नीतियां एआई के युग में भी प्रासंगिक: मांडविया

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  • Publish Date - July 22, 2025 / 06:03 PM IST,
    Updated On - July 22, 2025 / 06:03 PM IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि भारत की गरीब-समर्थक और उद्योग-अनुकूल नीतियां कृत्रिम मेधा (एआई) के युग में भी प्रासंगिक हैं।

उन्होंने कहा कि ये नीतियां रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

केंद्रीय मंत्री ने एक औद्योगिक संबंध सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के महान राजनीतिक रणनीतिकार चाणक्य का उल्लेख किया और कहा कि महान नेता व्यापार को बढ़ावा देते हैं, जिसके चलते धन सृजन, रोज़गार सृजन और कर संग्रह में वृद्धि होती है।

उन्होंने चाणक्य के प्राचीन ज्ञान का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार कर राजस्व का उपयोग गरीबों और वंचितों के कल्याण और उत्थान के लिए कर सकती है।

उन्होंने कहा कि लगभग दो हजार साल पहले चाणक्य ने बताया था कि कैसे कर राजस्व गरीब किसानों और समाज के अन्य वर्गों की मदद कर सकता है।

मांडविया ने व्यवसायों को चलाने के लिए जरूरी श्रमिकों के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि व्यवसाय केवल कच्चे माल, तकनीक या कृत्रिम मेधा (एआई) से नहीं चल सकते, बल्कि श्रमिकों की हमेशा जरूरत रहेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एआई या तकनीक से डरने की कोई जरूरत नहीं है… इसे चलाने के लिए कार्यबल की आवश्यकता होगी… टेलीफोन आया, उसके बाद मोबाइल फोन और फिर डिजिटल तकनीक। हम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बैठक कर रहे हैं, लेकिन क्या रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर यातायात कम हुआ है?’’

मंत्री ने आगे कहा, ‘‘अगर एक नौकरी जाती है, तो हमें दो और नौकरियां तलाशनी होंगी।’’

उन्होंने भारतीय मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि जहां विकसित देश 2-3 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहे हैं, वहीं देश 7-8 प्रतिशत की दर के साथ आगे बढ़ रहा है।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय