न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पिछले 19 दिनों में 62.42 लाख टन खरीफ धान की खरीद

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पिछले 19 दिनों में 62.42 लाख टन खरीफ धान की खरीद

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  • Publish Date - October 15, 2020 / 03:52 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर (भाषा) सरकार ने पिछले 19 दिनों के भीतर 5.33 लाख किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 11,785 करोड़ रुपये मूल्य के लगभग 62.42 लाख टन खरीफ धान की खरीद की है। खाद्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

पंजाब और हरियाणा की मंडियों में फसल की जल्दी आवक होने के कारण इन दोनों राज्यों में 26 सितंबर से धान की खरीद शुरू हुई, जबकि अन्य राज्यों में यह एक अक्टूबर से शुरू हुई। देश के 80 प्रतिशत से अधिक धान की फसल खरीफ मौसम में उगाई जाती है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य एजेंसियों के माध्यम से सरकार एमएसपी पर धान खरीद का काम करती है।

खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘खरीफ विपणन सत्र 2020-21 में धान की खरीद पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल तथा जम्मू कश्मीर जैसे धान उगाने वाले राज्यों में सुचारू रूप से चल रही है।’’

बयान में कहा गया है कि 14 अक्टूबर तक एमएसपी पर 11,785 करोड़ रुपये के मूल्य के लगभग 62.42 लाख टन धान की खरीद की गई थी।

चालू वर्ष के लिए, केंद्र ने सामान्य ग्रेड धान का एमएसपी 1,868 रुपये प्रति क्विंटल जबकि ए ग्रेड किस्म के धान का एमएसपी 1,888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।

खाद्य मंत्रालय के अनुसार भारतीय कपास निगम ने 14 अक्टूबर तक 18,618 किसानों से एमएसपी पर 25,399 करोड़ रुपये मूल्य के कपास के 89,592 गांठों की खरीद की है।

इसके अलावा, नोडल एजेंसियों के माध्यम से सरकार मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत एमएसपी पर दालों और तिलहन की खरीद कर रही है। 14 अक्टूबर तक हरियाणा में 639 किसानों को एमएसपी के तहत 4.94 करोड़ रुपये का भुगतान कर उनसे करीब 686.74 टन मूंग और उड़द की खरीद की गई।

हरियाणा, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में 10 अक्टूबर तक 611 किसानों से एमएसपी पर लगभग 669.74 टन मूंग और उड़द की खरीद की गयी। यह खरीद 4.82 करोड़ रुपये की रही।

इसी प्रकार, उक्त अवधि के दौरान कर्नाटक और तमिलनाडु में 3,961 किसानों से 5,089 टन ​​नारियल गरी की खरीद 52.40 करोड़ रुपये के एमएसपी देकर की गई है।

सरकार अब दैनिक आधार पर खरीद का आंकड़ा जारी कर रही है। इसका मकसद नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों को यह संदेश देना है कि उसका एमएसपी पर की जाने वाली खरीद को समाप्त करने का कोई इरादा नहीं है।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण