नारेडको उप्र ने कहा, दिवाला कानून के प्रावधान एक साल के लिए निलंबित किए जाएं

नारेडको उप्र ने कहा, दिवाला कानून के प्रावधान एक साल के लिए निलंबित किए जाएं

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  • Publish Date - May 25, 2021 / 02:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) रियल एस्टेट कंपनियों के निकाय नारेडको के उत्तर प्रदेश चैप्टर ने कोविड महामारी की दूसरी लहर के बीच नकदी संकट से जूझ रहे बिल्डरों को संरक्षण के लिए दिवाला कानून के प्रावधानों को एक साल के लिए निलंबित करने की मांग की है।

नारेडको उत्तर प्रदेश के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने इस बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से कॉरपोरेट इकाइयां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। ऐसे में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के प्रावधानों को एक साल के लिए निलंबित किया जाना चाहिए।

अरोड़ा ने कहा कि नयी बिक्री और पुरानी बिक्री से संग्रह बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे उद्योग के समक्ष नकदी संकट पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट उद्योग को संरक्षण के लिए राहत की जरूरत है। महामारी की वजह से उद्योग के समक्ष गंभीर नकदी संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह की राहत पिछले साल दी गई थी।

अरोड़ा ने पत्र में कहा कि वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। कानून की धारा 7, 9 और 10 को एक साल के लिए निलंबित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दूसरी लहर से सुधार की प्रक्रिया पूरी तरह पटरी से उतर गई है। उन्होंने कहा कि इससे अगले छह से आठ माह तक निर्माण प्रभावित होगा। उसके बाद भी सामग्री की आपूर्ति श्रृंखला, श्रमबल और मशीनों को बहाल करने में समय लगेगा।

भाषा अजय अजय मनोहर

मनोहर