दलहन, मोटे अनाज, तिलहन बुवाई समाप्त, धान पौध लगाने का काम प्रगति पर: सरकार

दलहन, मोटे अनाज, तिलहन बुवाई समाप्त, धान पौध लगाने का काम प्रगति पर: सरकार

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  • Publish Date - September 11, 2020 / 02:37 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

नयी दिल्ली, 11 सितंबर (भाषा) खरीफ सत्र के लिये दलहन, मोटे अनाज और तिलहन की बुवाई का काम लगभग समाप्त हो गया है, जबकि धान रुपाई का काम प्रगति पर है। कोविड-19 महामारी के बीच खरीफ फसलों की बुवाई का काम समाप्ति की ओर है। कृषि मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

एक बयान में कहा गया है कि खरीफ फसलों की बुवाई के काम पर महामारी का कोई असर नहीं पड़ा है और गर्मियों की फसलों की रिकॉर्ड क्षेत्र में फसल लगाई गई है।

सभी खरीफ फसलों की बुवाई का कुल रकबा चालू खरीफ सत्र में 5.68 प्रतिशत बढ़कर 1,104.54 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले के खरीफ मौसम में यह रकबा 1,045.18 लाख हेक्टेयर था।

खरीफ सत्र के लिए अंतिम बुवाई के आंकड़े एक अक्टूबर को पता लगने की उम्मीद है।

आम तौर पर, खरीफ फसलों की बुवाई जून से दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ शुरू होती है और अक्टूबर से इन फसलों की कटाई शुरू होती है। धान खरीफ की मुख्य फसल है।

धान बुवाई का काम अभी भी जारी रहने की बात कहते हुए मंत्रालय ने कहा कि अब तक इस फसल की बुवाई का रकबा 7.59 प्रतिशत बढ़कर 402.25 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले यह रकबा 373.87 लाख हेक्टेयर था।

उन्होंने कहा कि दलहन, मोटे अनाज और तिलहन की बुवाई लगभग खत्म हो गई है।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, दलहन खेती का रकबा पहले के 131.76 लाख हेक्टेयर से 4.64 प्रतिशत बढ़कर 137.87 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि मोटे अनाज का रकबा पहले के 177.43 लाख हेक्टेयर से 1.28 प्रतिशत बढ़कर 179.70 लाख हेक्टेयर हो गया।

तिलहन खेती का रकबा 2020 के खरीफ मौसम में अब तक 10.76 प्रतिशत की ऊंची वृद्धि के साथ 195.99 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो एक साल पहले 176.91 लाख हेक्टेयर था।

नकदी फसलों में, गन्ने का रकबा मामूली बढ़त के साथ 52.46 लाख हेक्टेयर रहा है, जबकि इस साल कपास का रकबा 2.12 प्रतिशत बढ़कर 129.30 लाख हेक्टेयर हो गया है।

मंत्रालय ने खरीफ बुवाई में रिकॉर्ड प्रगति को श्रेय अच्छी बारिश के अलावा खेती में काम आने वाले बीज, उर्वरक तथा अन्य जरूरी लागतों के साथ ही ऋण की बेहतर उपलब्धता और नवीन प्रौद्योगिकियों को दिया है।

भाषा राजेश राजेश महाबीर

महाबीर