(Revised vs Belated ITR / Image Credit: Pixabay)
Revised vs Belated ITR: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल ही में सैकड़ों टैक्सपेयर्स को ईमेल और एसएमएस के जरिए सूचित किया है कि उनके इनकम टैक्स रिटर्न में त्रुटियों के कारण उनका रिफंड रोका गया है। ऐसे टैक्सपेयर्स को सलाह दी गई है कि वे 31 दिसंबर 202 तक रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करें। विभाग की ताजा कार्रवाई ने लोगों को असमंजस में डाल दिया है, खास तौर पर उन पर जिन्होंने अधिक रिफंड का दावा किया है।
रिवाइज्ड ITR मूल रिटर्न में हुई गलतियों को सुधारने के लिए दाखिल किया जाता है। आईटी एक्ट, 1961 की धारा 139(5) के तहत, टैक्सपेयर्स आय, डिडक्शन या कैलकुलेशन की त्रुटियों को ठीक कर सकते हैं। अगर आपने ज्यादा या कम रिफंड दिखाया है, तो इसे भी रिवाइज्ड रिटर्न के जरिए सुधार सकते हैं।
बिलेटेड ITR वह रिटर्न है जिसे ड्यू डेट चूक जाने पर दाखिल किया जाता है। यह धारा 139(1) के तहत किया जाता है और संबंधित असेसमेंट ईयर की 31 दिसंबर तक जमा किया जा सकता है। बिलेटेड रिटर्न पर जुर्माना और बकाया कर पर ब्याज लगता है, लेकिन यह ड्यू डेट मिस होने पर रिटर्न दाखिल करने का ऑप्शन देता है।
रिवाइज्ड रिटर्न मूल रिटर्न में हुई कमियों को ठीक करने का अवसर देता है। इसमें छूटी हुई आय, अतिरिक्त कटौती, गलत रिफंड दावा या गलत ITR फॉर्म चयन जैसी गलतियों को सुधारा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, निर्धारित समय सीमा के भीतर रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल करने पर कोई जुर्माना नहीं लगता।
रिवाइज्ड रिटर्न मूल या बिलेटेड रिटर्न में हुई गलतियों को सुधारने के लिए दाखिल किया जाता है और इसे विभाग द्वारा मूल्यांकन पूरा होने से पहले फाइल किया जा सकता है। इस पर कोई जुर्माना नहीं लगता। वहीं, बिलेटेड रिटर्न वह है जो ड्यू डेट के बाद दाखिल किया जाता है और इस पर धारा 234F के तहत 5,000 रुपए तक का विलंब शुल्क और बकाया कर पर ब्याज लगता है। बिलेटेड रिटर्न में कुछ लाभ, जैसे हानियों को आगे ले जाने की सुविधा नहीं होती।
टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे 31 दिसंबर 2025 तक रिवाइज्ड रिटर्न दाखिल कर इस अवसर का लाभ उठाएं। यदि आप 1 जनवरी 2026 के बाद रिटर्न दाखिल करते हैं, तो अतिरिक्त कर देयता और ब्याज लग सकता है। इसलिए समय पर सही रिटर्न दाखिल करना बेहद जरूरी है।