आरबीआई की रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती उम्मीद से अधिक, आर्थिक वृद्धि होगी तेज: विशेषज्ञ

आरबीआई की रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती उम्मीद से अधिक, आर्थिक वृद्धि होगी तेज: विशेषज्ञ

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Modified Date: June 6, 2025 / 06:26 PM IST
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Published Date: June 6, 2025 6:26 pm IST

नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) विशेषज्ञों ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा रेपो दर को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.50 प्रतिशत करने तथा नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को चार किस्तों में एक प्रतिशत कम करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह उम्मीद से कहीं अधिक है।

बंधन बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, “…नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती उम्मीद से अधिक है, क्योंकि हमारी अपेक्षाएं 0.25 प्रतिशत की कटौती की थीं। उम्मीद से अधिक ब्याज दरों में कटौती से मौद्रिक नीति के कदमों को वास्तविक अर्थव्यवस्था में लागू करने पर अधिक ध्यान केंद्रित होता है।”

आनंद राठी समूह के मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने कहा कि आरबीआई की नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में एक प्रतिशत की कटौती, हमारी अपेक्षाओं और बाजार की आम सहमति दोनों से अधिक है।

उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी के बीच मौद्रिक नीति में बड़ी कटौती से वृद्धि को समर्थन देने की स्पष्ट मंशा प्रतिबिंबित होती है।

हाजरा ने कहा कि नीतिगत रुख को ‘उदार’ से ‘तटस्थ’ कर दिया गया है। “हालांकि इस परिवर्तन को इस बात का संकेत माना जा सकता है कि ब्याज दरों में कटौती का चक्र अपने अंत के करीब है, लेकिन हमारा मानना ​​है कि इसका उद्देश्य वित्तीय बाजारों में किसी भी संभावित ‘तर्कहीन उत्साह’ को नियंत्रित करना है।”

पैसाबाजार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी संतोष अग्रवाल ने कहा कि रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती से आवास ऋण के मौजूदा और नए, दोनों ग्राहकों को राहत मिलेगी।

उन्होंने कहा, “आवास ऋण के लिए आवेदन कर रहे लोगों को भी दर कटौती का लाभ मिलेगा, जब बैंक अपनी रेट पुनर्निर्धारण नीतियों के अनुसार अपने आवास ऋण की ब्याज दरों को फिर निर्धारित करना शुरू करेंगे।”

रेटिंग एजेंसी इक्रा के उपाध्यक्ष सचिन सचदेवा ने कहा कि रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की भारी कटौती से बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) पर बुरा असर पड़ सकता है। सीआरआर में कटौती और बैंकों द्वारा अपनी जमा पर ब्याज की गई कटौती से लाभ मिलने के साथ एनआईएम पर दबाव कम होने की उम्मीद है, जबकि सावधि जमा दरों में कुछ समय के लिए कमी आएगी।

भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (फियो) ने आरबीआई के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि इससे आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी।

फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, “आरबीआई के रेपो दर और सीआरआर में कटौती, दोनों उपाय ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर आए हैं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है। इन कदमों से वित्तीय स्थितियों में आसानी होने, बैंकिंग प्रणाली में नकदी बढ़ने और विशेष रूप से निर्यात, विनिर्माण और एमएसएमई जैसे क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।’’

भाषा अनुराग रमण

अनुराग

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)