ब्याज दर पर रिजर्व बैंक का फैसला व्यावहारिक, ईएमआई स्थिर रहेगी: विशेषज्ञ

ब्याज दर पर रिजर्व बैंक का फैसला व्यावहारिक, ईएमआई स्थिर रहेगी: विशेषज्ञ

ब्याज दर पर रिजर्व बैंक का फैसला व्यावहारिक, ईएमआई स्थिर रहेगी: विशेषज्ञ
Modified Date: August 10, 2023 / 04:04 pm IST
Published Date: August 10, 2023 4:04 pm IST

नयी दिल्ली, 10 अगस्त (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का रेपो दर को स्थिर रहने का फैसला व्यावहारिक और अपेक्षित है। इससे आवास और उपभोक्ता ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) स्थिर रहेगी। विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को यह राय जाहिर की।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की लगातार तीसरी बैठक में प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। केंद्रीय बैंक ने हालांकि महंगाई और बढ़ने पर सख्त नीति का संकेत दिया है।

मौद्रिक नीति समिति ने आम राय से रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर कायम रखा है।

 ⁠

उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद आरबीआई-एमपीसी के पास कई सकारात्मक बातें भी थीं, जैसे 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि, विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग में वृद्धि और प्रमुख क्षेत्रों में निजी निवेश का पुनरुद्धार।

उद्योग निकाय फिक्की के अध्यक्ष शुभ्रकांत पांडा ने कहा कि एमपीसी ने नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है, जो मुद्रास्फीति को लक्षित करते हुए वृद्धि का समर्थन करेगा।

उन्होंने कहा कि हाल में अल-नीनो प्रभाव के कारण परिदृश्य अस्पष्ट बना हुआ है, कठिन वैश्विक परिदृश्य पर सावधानी के साथ निगरानी की जरूरत है।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आरबीआई ने इस बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है, जो उम्मीद के मुताबिक है।

उन्होंने कहा, ‘‘दिलचस्प बात यह है कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। दूसरी तिमाही में इसके 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे संकेत मिलता है कि 2023 में दर में कटौती की कोई संभावना नहीं है।’’

इक्रा के उपाध्यक्ष (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) ए एम कार्तिक ने कहा कि ऋण के बढ़ते खुदराकरण को देखते हुए परिवर्तनशील दर वाले कर्ज में अवधि या ईएमआई में बदलाव को पारदर्शी रूप से बताने का प्रस्ताव स्वागतयोग्य है। इस संबंध में कर्ज लेने वालों को बेहतर ढंग से शिक्षित करने की जरूरत है, ताकि वे इन शर्तों के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझ सकें।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय


लेखक के बारे में