रिजर्व बैंक का वित्तीय समावेश सूचकांक बीते वित्त वर्ष में 4.3 प्रतिशत बढ़ा
रिजर्व बैंक का वित्तीय समावेश सूचकांक बीते वित्त वर्ष में 4.3 प्रतिशत बढ़ा
मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि उसका वित्तीय समावेश सूचकांक मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष वर्ष में 4.3 प्रतिशत बढ़ा है। यह देश में वित्तीय समावेश यानी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच की स्थिति में सुधार को दर्शाता है।
आरबीआई ने सरकार सहित संबंधित पक्षों के परामर्श से समग्र वित्तीय समावेश सूचकांक (एफआई-सूचकांक) तैयार किया है। वार्षिक सूचकांक पहली बार वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अगस्त, 2021 में प्रकाशित किया गया था।
केंद्रीय बैंक ने बयान में कहा, ‘‘मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष वर्ष के लिए सूचकांक संकलित किया गया है। मार्च, 2025 के लिए वित्तीय समावेश सूचकांक का मूल्य 67 है, जबकि मार्च, 2024 में यह 64.2 था। इसमें पहुंच, उपयोग और गुणवत्ता समेत सभी उप-सूचकांकों में वृद्धि देखी गई है।’’
वित्त वर्ष 2024-25 में वित्तीय समावेश सूचकांक में उपयोग और गुणवत्ता आयाम का नतीजा है। यह वित्तीय समावेश के दायरे में ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को लाने और वित्तीय साक्षरता की दिशा में निरंतर उठाये गये कदमों को दर्शाता है।
एफआई-सूचकांक की अवधारणा एक व्यापक सूचकांक के रूप में की गई है। इसमें सरकार और संबंधित क्षेत्रीय नियामकों के परामर्श से बैंक, निवेश, बीमा, डाक और पेंशन क्षेत्र का विवरण शामिल है।
यह वित्तीय समावेश के विभिन्न पहलुओं की जानकारी 0 से 100 के बीच के एकल मान में एकत्रित करता है। इसमें शून्य वित्तीय समावेश के पूर्ण रूप से अभाव, जबकि 100 पूरी तरह से से वित्तीय समावेश को बताता है।
सूचकांक में तीन व्यापक मानदंड…पहुंच (35 प्रतिशत), उपयोग (45 प्रतिशत), और गुणवत्ता (20 प्रतिशत)…शामिल हैं। इनमें से प्रत्येक में विभिन्न आयाम शामिल हैं। इनकी गणना कई संकेतकों के आधार पर की जाती है।
भाषा रमण अजय
अजय

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