भारतीय कंपनियों का राजस्व मामूली बढ़ा, दूसरी तिमाही में लाभप्रदता 0.50 प्रतिशत से अधिक घटी: रिपोर्ट

भारतीय कंपनियों का राजस्व मामूली बढ़ा, दूसरी तिमाही में लाभप्रदता 0.50 प्रतिशत से अधिक घटी: रिपोर्ट

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  • Publish Date - October 23, 2025 / 05:25 PM IST,
    Updated On - October 23, 2025 / 05:25 PM IST

मुंबई, 23 अक्टूबर (भाषा) भारतीय कंपनियों का राजस्व जुलाई-सितंबर तिमाही में छह प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है। बृहस्पतिवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक इकाई की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-सितंबर की अवधि के दौरान परिचालन लाभ मुनाफे में सालाना आधार पर 0.60 प्रतिशत तक की कमी आई है।

एजेंसी ने कहा, ‘‘ बिजली, कोयला, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा और इस्पात क्षेत्रों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जुलाई-सितंबर तिमाही में कॉरपोरेट राजस्व में सालाना आधार पर मामूली पांच से छह प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है।’’

रिपोर्ट के लिए एजेंसी ने 600 कंपनियों के प्रदर्शन का विश्लेषण किया और कहा कि धीमी वृद्धि दर्ज करने वाली इन क्षेत्रों की कंपनियों का कुल राजस्व में एक-तिहाई योगदान है।

इसमें कहा गया कि क्रमिक रूप से जुलाई-सितंबर अवधि के दौरान राजस्व वृद्धि पूर्ववर्ती अप्रैल-जून तिमाही की तुलना में एक प्रतिशत अधिक होगी।

लाभप्रदता के दृष्टिकोण से इसमें कहा गया कि मोटर वाहन, औषधि और एल्युमीनियम क्षेत्रों में कंपनियों को बढ़ी हुई लागत का पूरा भार ग्राहकों पर डालने में कठिनाई हुई तथा परिचालन लाभ मुनाफा जुलाई-सितंबर तिमाही में 0.50-1 प्रतिशत कम होने का अनुमान है।

निरंतर भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं ने आईटी सेवा क्षेत्र पर दबाव डाला, जहां परियोजनाओं के स्थगित होने से राजस्व वृद्धि एक प्रतिशत तक सीमित रहने का अनुमान है। वहीं इस्पात क्षेत्र में राजस्व में चार प्रतिशत की मामूली वार्षिक वृद्धि की उम्मीद है, जबकि इस्पात की कीमतों में गिरावट से नौ प्रतिशत की मात्रा में वृद्धि हुई है।

विद्युत क्षेत्र का राजस्व संभवतः मात्र एक प्रतिशत बढ़ा जो मानसून के दीर्घावधि औसत के 108 प्रतिशत रहने एवं नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में 10 प्रतिशत की वृद्धि के कारण जल विद्युत उत्पादन में हुई वृद्धि से प्रभावित हुआ जिसके कारण कोयला उत्पादन की मांग में कमी आई। परिणामस्वरूप, कोयला क्षेत्र की राजस्व वृद्धि संभवतः स्थिर रही।

क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा ने कहा, ‘‘ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों को युक्तिसंगत बनाने से कम कीमतों पर नए भंडार से यात्री वाहनों और दैनिक उपभोग की घरेलू वस्तुओं (एफएमसीजी) जैसे खंडों में अस्थायी व्यवधान उत्पन्न हुआ। परिणामस्वरूप, खुदरा विक्रेताओं और वितरकों ने एफएमसीजी खरीद में देरी की जबकि उच्च भंडार स्तर एवं सुस्त खुदरा बिक्री ने दूसरी तिमाही में यात्री वाहनों की मांग को प्रभावित किया।’’

भाषा निहारिका अजय

अजय