ग्रामीण मांग में व्यापक सुधार, परिवारों की आय बढ़ीः नाबार्ड सर्वेक्षण

ग्रामीण मांग में व्यापक सुधार, परिवारों की आय बढ़ीः नाबार्ड सर्वेक्षण

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  • Publish Date - December 11, 2025 / 08:25 PM IST,
    Updated On - December 11, 2025 / 08:25 PM IST

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) ग्रामीण क्षेत्रों में खपत बढ़ रही है। करीब 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने सालाना आधार पर अपनी खपत बढ़ने की सूचना दी है। यह बढ़ती समृद्धि की पहचान के साथ ग्रामीण आर्थिक गतिविधियों में तेजी का भी स्पष्ट संकेत है। नाबार्ड की एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल गांवों की आर्थिक बुनियाद स्पष्ट रूप से मजबूत हुई है। खपत में अच्छी वृद्धि, लोगों की बढ़ती आय, कम होती महंगाई और बेहतर वित्तीय व्यवहार के साथ, ग्रामीण भारत वृद्धि के एक सकारात्मक रास्ते पर है।

राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के आठवें ग्रामीण आर्थिक स्थिति एवं धारणा सर्वेक्षण (आरईसीएसएस) में कहा गया है कि कल्याणकारी उपायों के जरिये निरंतर समर्थन और मजबूत सार्वजनिक निवेश इस तेजी को और मजबूत बना रही है।

सर्वेक्षण के मुताबिक, एक परिवार की मासिक आय का लगभग 67 प्रतिशत अब खपत पर खर्च होता है। खपत का यह प्रतिशत सर्वेक्षण शुरू होने के बाद से सबसे ज्यादा है। इसको जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने से मदद मिली है।

इस साल नवंबर में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, जीएसटी दर को तर्कसंगत बनाने के बाद ग्रामीण खपत में उछाल आया है। साथ ही महंगाई कम होने से ग्रामीण गैर-कृषि आय की क्रयशक्ति में सुधार ने भी इस गति को बनाए रखने में मदद की है।

नाबार्ड का आरईसीएसएस सर्वेक्षण हरेक दो महीने में एक बार होने वाला आकलन है। बैंक यह काम सितंबर, 2024 से ही कर रहा है।

सर्वेक्षण के नतीजों से पता चलता है कि कर्ज चुकाने और पूंजी निवेश की स्थिति में सुधार हुआ है और पिछले साल 29.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों ने ज्यादा पूंजी निवेश किया है। यह अब तक के सभी सर्वेक्षणों में सबसे ज्यादा है।

इसमें कहा गया है कि निवेश में बढ़ोतरी मजबूत खपत और आय में बढ़ोतरी की वजह से है, न कि कर्ज दबाव की वजह से। औपचारिक स्रोतों तक ग्रामीण कर्ज की पहुंच अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है।

सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 84 प्रतिशत लोगों का मानना है कि महंगाई पांच प्रतिशत या उससे कम है। साथ ही लगभग 90 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि निकट अवधि में महंगाई पांच प्रतिशत से नीचे रहेगी। मुद्रास्फीति में इस गिरावट से लोगों की वास्तविक आय बढ़ी है, खरीद क्षमता बेहतर हुई है और कुल मिलाकर समृद्धि बढ़ी है।

भाषा रमण प्रेम

प्रेम