सेबी ने रेलिगेयर सौदे में प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश के लिए दिग्विजय गायकवाड़ की याचिका खारिज की
सेबी ने रेलिगेयर सौदे में प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश के लिए दिग्विजय गायकवाड़ की याचिका खारिज की
नयी दिल्ली, 14 फरवरी (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को रेलिगेयर एंटरप्राइजेज में बहुलांश हिस्सेदारी के लिए प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश लाने की इजाजत मांगने वाली दिग्विजय एल गायकवाड़ की याचिका खारिज कर दी।
इस फैसले के साथ, बर्मन समूह की खुली पेशकश के आगे बढ़ने का रास्ता खुला हुआ है। बर्मन समूह ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के अधिग्रहण के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई है।
बाजार नियामक ने एक आदेश में कहा कि गायकवाड़ की खुली पेशकश में 275 रुपये प्रति शेयर की कीमत बर्मन समूह की 235 रुपये प्रति शेयर की पेशकश से 40 रुपये अधिक थी।
आदेश में आगे कहा गया, ”आवेदक (डैनी गायकवाड़ डेवलपमेंट्स एंड इन्वेस्टमेंट्स, फ्लोरिडा) प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश करने के लिए वित्तीय दायित्व को पूरा करने की अपनी क्षमता साबित करने में विफल रहा है।”
सेबी ने यह भी पाया कि आवेदक भारत के उच्चतम न्यायालय के सात फरवरी, 2025 के आदेश के अनुसार 600 करोड़ रुपये जमा करने में विफल रहा है।
बाजार नियामक ने कहा कि प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश करने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधनों के पर्याप्त सबूत नहीं होने की स्थिति में आवेदन वास्तविक नहीं लगता है।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया द्वारा पारित आदेश में कहा गया कि इसका मकसद केवल खुली पेशकश प्रक्रिया में बाधा डालना है।
भाटिया ने आदेश में कहा, ”मैं आवेदक द्वारा दायर एक फरवरी, 2025 के आवेदन का निपटारा करता हूं।”
नियामक ने अपने आदेश में कहा कि गायकवाड़ का अनुरोध मानदंडों के तहत छूट के रूप में योग्य नहीं है, क्योंकि वह खुली पेशकश करने से राहत नहीं मांग रहे थे, बल्कि बर्मन समूह के खिलाफ प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश करने की अनुमति मांग रहे थे।
नियामक ने इस बात पर भी जोर दिया कि गायकवाड़ ने सेबी, आरबीआई या अन्य प्राधिकरणों से जरूरी विनियामक मंजूरी के लिए आवेदन नहीं किया है। अगर उन्होंने ऐसा किया भी तो मंजूरी की प्रक्रिया में समय लगेगा, जिससे अनिश्चितता बढ़ेगी और खुली पेशकश में और देरी होगी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने प्रतिस्पर्धी खुली पेशकश लाने के लिए गायकवाड़ के मर्चेंट बैंकर पीएल कैपिटल मार्केट्स प्राइवेट लिमिटेड की भूमिका पर भी सवाल उठाए।
नियामक ने कहा, ”मर्चेंट बैंकर को गायकवाड़ की साख के बारे में नहीं पता था और पाया गया कि उन्होंने यह काम लेने से पहले अपने मुवक्किल की उचित जांच-पड़ताल और केवाईसी नहीं की।”
भाषा पाण्डेय रमण
रमण

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