श्रम संहिता की सफलता नियमों के निर्धारण, क्रियान्वयन पर निर्भर: विशेषज्ञ

श्रम संहिता की सफलता नियमों के निर्धारण, क्रियान्वयन पर निर्भर: विशेषज्ञ

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  • Publish Date - October 18, 2020 / 02:43 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:08 PM IST

नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर (भाषा) सरकार द्वारा हाल में कई श्रम कानूनों को चार श्रम संहिताओं में समाहित करने के लिए लागू किए गए नियमन बड़े सुधार तो हैं, लेकिन इनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि नियम कैसे बनाए जाते हैं और जमीन पर उनका क्रियान्वय कैसे किया जाता है। एक विशेषज्ञ ने यह बात कही।

एऑन इंडिया में सेवानिवृत्ति समाधान के प्रैक्टिस लीडर विशाल ग्रोवर ने कहा कि कर्मचारी और नियोक्ता की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक नाजुक संतुलन की जरूरत है।

संसद ने अपने बीते सत्र में तीन श्रम संहिताओं को पारित किया था। ये संहिताएं औद्योगिक संबंध (आईआर) संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता (ओएसएच) हैं।

इससे पहले वेतन संहिता विधेयक 2019 को संसद ने पिछले साल पारित किया था।

ग्रोवर के अनुसार नियोक्ता को प्रभावित करने वाले सुधारों में निश्चित अवधि के कर्मचारियों की भर्ती में सुविधा, छंटनी के नियमों में राहत और 60 दिन का नोटिस दिए बिना श्रमिक संगठनों को हड़ताल करने की इजाजत न देने संबंधी उपाए हैं।

कर्मचारी के लिहाज से असंगठित क्षेत्र के लिए सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं की शुरुआत शामिल है। इसके अलावा महिला कर्मचारियों के हित में कई उपाए किए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि कुल मिलाकर सहिंता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि अगले कुछ महीनों में नियमों को कैसे लागू किया जाता है और संगठन इन बदलावों के लिए खुद को किस तरह तैयार करते हैं।

भाषा पाण्डेय मनोहर

मनोहर