उच्चतम न्यायालय का आदेश न्याय का गर्भपात, इसमें कई गलतियां हैं: मिस्त्री ने समीक्षा याचिका में कहा

उच्चतम न्यायालय का आदेश न्याय का गर्भपात, इसमें कई गलतियां हैं: मिस्त्री ने समीक्षा याचिका में कहा

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  • Publish Date - April 27, 2021 / 07:06 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:22 PM IST

मुंबई, 27 अप्रैल (भाषा) शापूरजी पलोंजी समूह ने टाटा समूह के खिलाफ उसके मामले में उच्चतम न्यायालय के 26 मार्च के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में समीक्षा याचिका दायर की है। उच्चतम न्यायालय ने टाटा समूह के खिलाफ शापूरजी पलोंजी समूह के मामले को खारिज कर दिया था।

शापूरजी पलोंजी ने 26 मार्च के उच्चतम न्यायालय के फैसले को कंपनी कानून की बुनियाद के खिलाफ बताते हुये इसे अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों के साथ ज्यादती बताया।

शापूरजी पलोंजी के मिस्त्री का कहना है कि शीर्ष अदालत के फैसले के पीछे जो है वह इतना खराब है कि उसकी समीक्षा की आवश्यकता है। यह फैसला तत्कालीन मुख्य न्यायधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्याायधीशों की पीठ ने दिया था।

मिस्त्री की समीक्षा याचिका में कहा गया है कि फैसला कंपनी अधिनियम 2013 और संविधान के विपरीत है। क्योंकि इसमें साइरस मिस्त्र को समूह के चेयरमैन पद से हटाने के लिए टाटा समूह द्वारा कंपनी के खुद के संविधान के उल्लंघन का उचित बताया गया है। इस प्रकार कुल मिलाकर यह फैसला अपने आप में विरोधाभासी है।

मिस्त्री समूह द्वारा 24 अप्रैल को दायर समीक्षा याचिका में फैसले में हुई गलतियों को ठीक करने का आग्रह किया गया है। इसमें कहा गया है कि यदि इनपर ध्यान नहीं दिया गया तो यह अन्य अल्पांश शेयरधारकों के अधिकारों पर भी प्रभाव डालेगा और यह उन्हें कंपनी कानून के तहत मिली उनकी सुरक्षा को समाप्त कर देगा।

भाषा

महाबीर मनोहर

मनोहर