Tata Motors: कहीं दिवालिया न हो जाएं टाटा मोटर्स के शेयर होल्डर्स / Image source: IBC24 Customized
मुंबई: Tata Motors Share Price भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को ताबड़तोड़ तेजी देखने को मिली। ग्रीन सिग्नल के साथ शुरू हुए बाजार को देखते हुए ये उम्मीद जताई जा रही थी कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में तेजी देखने को मिल सकती है और निवेशकों का डूबा हुआ पैसा रिकवर हो सकता है। लेकिन जैसे ही ये खबर आई कि डोनाल्ड ट्रंप ने बाहर निर्मित होने वाली गाड़ियों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है तो फिर सेऑटो इंडेक्स को झटका लगा।
Tata Motors Share Price ट्रंप के इस फैसले का सबसे बड़ा झटका टाटा मोटर्स को लग सकता है। वित्त वर्ष 2024 में टाटा मोटर्स की स्वामित्व वाली जगुआर लैंड रोवर (JLR) की कुल बिक्री का लगभग 22% हिस्सा उत्तर अमेरिका से आया था। अगर इस टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में कीमतें बढ़ती हैं, तो JLR की बिक्री पर दबाव आ सकता है। बात करें समवर्धना मदर्सन को भी इस फैसले से झटका लग सकता है, क्योंकि अमेरिकी बाजार में बिकने वाली फॉक्सवैगन (VW) की लगभग 60% गाड़ियां मैक्सिको और कनाडा में बनती हैं। कंपनी की कुल आय में VW का योगदान 9% और ऑडी का 8% है, इसलिए अमेरिकी बाजार में कोई भी मंदी इनके रेवेन्यू पर असर डाल सकती है।
बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि वह आयातित वाहनों व घटकों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा रहे हैं। व्हाइट हाउस का दावा है कि इससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भर वाहन विनिर्माताओं पर वित्तीय दबाव भी पड़ सकता है। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, ‘‘इससे वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। हम प्रभावी रूप से 25 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे।’’
शुल्क से व्हाइट हाउस को सालाना 100 अरब अमेरिकी डॉलर का राजस्व मिलने की उम्मीद है। हालांकि यह आसान नहीं होगा क्योंकि अमेरिकी वाहन विनिर्माता भी अपने कई कलपुर्जे व घटक दुनिया भर से खरीदते हैं। अप्रैल से शुरू होने वाली कर वृद्धि का मतलब है कि वाहन विनिर्माताओं को उच्च लागत और कम बिक्री का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, ट्रंप का तर्क है कि शुल्क के कारण अमेरिका में और अधिक कारखाने खुलेंगे तथा वह ‘‘बेकार’’ आपूर्ति श्रृंखला समाप्त हो जाएगी, जिसके माध्यम से अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको में वाहन कलपुर्जों और तैयार वाहनों का विनिर्माण किया जाता है।
ट्रंप ने अपने द्वारा हस्ताक्षरित शुल्क निर्देश के प्रति अपनी गंभीरता को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘यह स्थायी (फैसला) है।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि वाहनों पर शुल्क तीन अप्रैल से वसूला जाना शुरू किया जाएगा। इस बीच, बुधवार को कारोबार में जनरल मोटर्स के शेयर में करीब तीन प्रतिशत की गिरावट आई। फोर्ड के शेयर में मामूली बढ़त दर्ज की गई। जीप तथा क्रिसलर का स्वामित्व रखने वाली स्टेलेंटिस के शेयर में भी करीब 3.6 प्रतिशत की गिरावट आई।
पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स की वरिष्ठ ‘फेलो’ अर्थशास्त्री मैरी लवली ने कहा, ‘‘ हम वाहनों की कीमतों में काफी वृद्धि देख रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमें कम विकल्प देखने को मिलेंगे। इस तरह के वाहनों का बोझ मध्यम और कामकाजी वर्ग पर अधिक पड़ता है।’’ उन्होंने कहा कि अधिकतर परिवार नई कार बाजार से बाहर हो जाएंगे जहां पहले से ही औसतन कीमत करीब 49,000 अमेरिकी डॉलर हैं और उन्हें पुरानी गाड़ियों को ही अपनाना होगा।
यदि करों का पूरा बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जाए तो आयातित वाहन की औसत कीमत 12,500 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकती है, जो कुल मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है। वैश्विक नेताओं ने शुल्क की आलोचना करने में देर नहीं लगाई जो इस बात का संकेत है कि ट्रंप व्यापक व्यापार युद्ध को तेज कर सकते हैं जिससे दुनिया भर में वृद्धि को नुकसान पहुंच सकता है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट रूप से प्रत्यक्ष हमला है। हम अपने कर्मचारियों की रक्षा करेंगे। हम अपनी कंपनियों की रक्षा करेंगे। हम अपने देश की रक्षा करेंगे।’’
कार्नी ने कहा कि उन्हें जवाबी कार्रवाई करने से पहले ट्रंप के कार्यकारी आदेश का विवरण देखना होगा। उन्होंने इस कदम को अनुचित बताया और कहा कि वह चुनाव अभियान छोड़कर बृहस्पतिवार को ओटावा जाएंगे तथा अमेरिकी संबंधों पर अपने मंत्रिमंडल की विशेष समिति की अध्यक्षता करेंगे। ब्रसेल्स में, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने यूरोप से वाहन निर्यात को लक्षित करने के अमेरिकी निर्णय पर खेद व्यक्त किया और यूरोपीय आयोग उपभोक्ताओं तथा व्यवसायों की रक्षा करने का संकल्प किया। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘ शुल्क कर …व्यवसायों के लिए बुरे, अमेरिका और यूरोपीय संघ में उपभोक्ताओं के लिए समान रूप से बदतर।’’