(Insurance/ Image Credit: Meta AI)
नई दिल्ली: Insurance Policy News: भारत का इंश्योरेंस सेक्टर ऐतिहासिक बदलाव के दौर में प्रवेश कर रहा है। केंद्र सरकार ने इंश्योरेंस कंपनियों में 100 फीसदी विदेशी निवेश (FDI) को मंजूरी दे दी है। यह कदम सीधे तौर पर पॉलिसीधारकों के प्रीमियम, पॉलिसी और क्लेम प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी के बाद लोकसभा में ‘इंश्योरेंस लॉज (अमेंडमेंट) बिल 2025′ पेश किया गया है, जिसका नाम रखा गया है ‘सबका बीमा, सबकी रक्षा’। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, इसका मकसद बीमा सुरक्षा को सभी तक पहुंचाना और सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाना है। पहले विदेशी हिस्सेदारी की सीमा 74% थी, जिसे अब 100% तक बढ़ाया गया है।
100% FDI से अंतरराष्ट्रीय इंश्योरेंस कंपनियां भारत में स्वतंत्र रूप से काम कर सकेंगी। इसका मतलब है कि नए खिलाड़ियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और मौजूदा कंपनियों पर बेहतर प्रोडक्ट और सर्विस देने का दबाव आएगा। जानकारों के अनुसार, इसका सीधा लाभ ग्राहकों को ज्यादा विकल्प, आधुनिक सुविधाएं और बेहतर कवरेज के रूप में मिलेगा।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनियां प्रीमियम को किफायती बनाए रखने का प्रयास कर सकती हैं। इसके अलावा, वैश्विक अनुभव और नई तकनीक के इस्तेमाल से जोखिम प्रबंधन बेहतर होगा, जिससे लंबे समय में प्रीमियम संरचना संतुलित और ग्राहक के लिए लाभकारी बन सकती है।
विदेशी निवेश की मदद से क्लेम प्रोसेस तेज, पारदर्शी और डिजिटल होने की संभावना है। इससे ग्राहकों को लंबा इंतजार और बार-बार कागजी कार्यवाहियों से छुटकारा मिलेगा। छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए बीमा पहुंचाना आसान होगा, जिससे ‘इंश्योरेंस फॉर ऑल 2047’के लक्ष्य को हासिल करना भी संभव होगा।