नयी दिल्ली, 29 सितंबर (भाषा) खनन दिग्गज अनिल अग्रवाल के समूह ने शुक्रवार को कारोबार में एक बड़े बदलाव की घोषणा की। वेदांता लिमिटेड ने कहा कि वह अपने पांच व्यवासायों को अलग-अलग कंपनियों में विभाजित करेगी। इन व्यवासायों में एल्युमीनियम, तेल तथा गैस और इस्पात प्रमुख हैं।
समूह ने कारोबार के मूल्य को बढ़ाने और कर्ज को कम करने के लिए जिंक इकाई के पुनर्गठन की योजना भी बनाई है।
कंपनी ने शेयर बाजार को बताया, ”पुनर्गठन योजना के तहत शेयरधारकों को वेदांता लिमिटेड के प्रत्येक शेयर के लिए पांच नयी सूचीबद्ध कंपनियों में से प्रत्येक का एक-एक शेयर मिलेगा।”
वेदांता लिमिडेट के बोर्ड ने ”एक क्षेत्र विशेष के परिसंपत्ति-स्वामित्व व्यवसाय मॉडल” को मंजूरी दी। इसके तहत एल्युमीनियम, तेल और गैस, बिजली, इस्पात और लौह सामग्री, तथा आधार धातुओं को अलग-अलग व्यवसायों में विभाजित किया जाएगा और अलग से सूचीबद्ध किया जाएगा।
वेदांता लिमिटेड के पास हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के साथ ही स्टेनलेस स्टील और सेमीकंडक्टर/डिस्प्ले के नये व्यवसायों में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी बनी रहेगी।
कारोबार को पुनर्गठित करने की यह योजना 12-15 महीनों में पूरी होने की उम्मीद है।
वेदांता लिमिटेड के अध्यक्ष (वित्त) अजय अग्रवाल ने कहा कि पूरी प्रक्रिया के लिए शेयरधारकों और ऋणदाताओं के साथ ही शेयर बाजारों तथा अदालतों से मंजूरी लेनी होगी। पूरी प्रक्रिया 12-15 महीनों में पूरी होने की उम्मीद है।
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने एक अलग बयान में कहा कि वह विशिष्ट बाजार स्थितियों का लाभ लेने और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए अपने जिंक और सीसा, चांदी तथा पुनर्चक्रण व्यवसायों के लिए अलग कानूनी इकाइयां बना सकती है।
इसके लिए निदेशकों की एक समिति विकल्पों का मूल्यांकन करेगी और बाहरी सलाहकारों की मदद से बोर्ड को सलाह देगी।
पिछले महीने चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा था कि शेयरधारकों के लिए मूल्य तैयार करने के लिए कुछ व्यवसायों के पुनर्गठन और उन्हें अलग से सूचीबद्ध करने पर विचार किया जा रहा है।
वेदांता लिमिटेड का 90 प्रतिशत से अधिक मुनाफा भारतीय परिचालन से है।
वेदांता ने पुनर्गठन के औचित्य को समझाते हुए कहा कि यह क्षेत्र आधारित स्वतंत्र व्यवसायों के साथ कॉरपोरेट संरचना को सरल बनाएगा और साथ ही वैश्विक निवेशकों को अवसर देगा। इन निवेशकों में सरकारी संपत्ति कोष, खुदरा निवेशक और रणनीतिक निवेशक शामिल हैं।
बयान में कहा गया कि जिंस की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि देश विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और ऊर्जा बदलाव यानी हरित ऊर्जा के लिए आक्रामक लक्ष्य तय किए जा रहे हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
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