हम सुनिश्चित करेंगे कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के करीब आए: दास |

हम सुनिश्चित करेंगे कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के करीब आए: दास

हम सुनिश्चित करेंगे कि मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के करीब आए: दास

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:54 PM IST, Published Date : July 22, 2022/7:45 pm IST

मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) वैश्विक स्तर पर जारी अनिश्चितता के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था में ज्यादा उठा-पटक नहीं हो, आर्थिक वृद्धि पर नाममात्र असर पड़े तथा मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के करीब आए।

दास ने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति संभवतः अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है और अगले महीने होने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति के 6.7 प्रतिशत पूर्वानुमान की समीक्षा की जाएगी।

दास ने कहा, ‘हमारी कोशिश होगी कि अर्थव्यवस्था में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आए और मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य के करीब हो। साथ ही आर्थिक वृद्धि में होने वाला नुकसान भी प्रबंध के दायरे में रहे।’

उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के पहले अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत बिना अधिक उतार-चढ़ाव के साथ पुनरूद्धार के रास्ते पर पहुंच चुका था। लेकिन बदले हुए हालात ने जिंसों, कच्चे तेल के दाम बढ़ाकर नई चुनौतियां पैदा कर दीं। इसकी वजह से केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति में सख्ती बरतनी पड़ी और पूंजी की निकासी भी बढ़ गई। उन्होंने कहा कि यह सभी चीजें आरबीआई के नियंत्रण से बाहर की हैं।

उन्होंने कहा कि फिलहाल आरबीआई की प्राथमिकता का केंद्र मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करना है और फिर वृद्धि का स्थान आता है।

दास ने यह बात ऐसे समय कही है जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चा तेल और जिंसों के दाम में तेजी आई है। इससे महंगाई बढ़ने के साथ विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल उधारी देने वाली फर्मों को सिर्फ वही काम करने चाहिए जिसके लिए उन्हें लाइसेंस मिला है। उन्होंने कहा कि लाइसेंस प्रावधानों का उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘अगर ये फर्में हमारी अनुमति के बगैर गैर-लाइसेंसी काम कर रही हैं तो यह स्वीकार्य नहीं है। यह लाइसेंसिंग जरूरतों से परे है और हम इस तरह के जोखिम की इजाजत नहीं दे सकते हैं।’

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)