क्या है eRUPI? कौन कर सकता है इसका इस्तेमाल? कैसे होगा इसका उपयोग? जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
क्या है eRUPI? कौन कर सकता है इसका इस्तेमाल? What is E-RUPI? How will it be used? Know About Everything
E RUPI
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल करेंसी की ओर पहला कदम बढ़ाते हुए आज इलेक्ट्रॉनिक वाउचर बेस्ड डिजिटल पेमेंट सिस्टम ‘eRUPI’ लॉन्च किया है। ई-रुपी एक क्यूआर कोड या एसएमएस स्ट्रिंग-आधारित ई-वाउचर है, जिसे बेनिफिशियरी के मोबाइल पर पहुंचाया जाता है। इस वन टाइम पेमेंट मैकेनिज्म के यूजर्स, सर्विस प्रोवाइडर पर कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस किए बिना वाउचर को रिडीम कर सकेंगे। तो चलिए आपको बताते हैं क्या है ‘eRUPI’ और कैसे इसका उपयोग किया जा सकता है?
क्या है ‘eRUPI’ वाउचर
‘ई-रुपी’ कोई प्लेटफॉर्म नहीं है। यह विशिष्ट सेवाओं के लिए एक वाउचर है। इसका उपयोग वह भी कर सकते है, जिनके पास बैंक खाता या डिजिटल भुगतान ऐप या स्मार्टफोन न हो। इन वाउचर का इस्तेमाल ज्यादातर स्वास्थ्य संबंधी भुगतान के लिए किया जाएगा। जबकि कॉरपोरेट सेक्टर अपने कर्मचारियों के लिए इन वाउचर का इस्तेमाल कर सकता हैं।
कैसे जारी होगा ‘eRUPI’
इस सिस्टम को NPCI द्वारा उसके UPI प्लेटफॉर्म पर डेवलप किया गया है और इसमें बैंकों को शामिल किया गया है जो इन वाउचर्स को जारी करने का काम करेंगी। किसी भी कॉर्पोरेट या सरकारी एजेंसी को इसे प्राप्त करने के लिए पार्टनर बैंक्स से कॉन्टैक्ट करना होगा जो प्राइवेट और सरकारी दोनों हो सकते हैं। इसके साथ इस बात की भी जानकारी देनी होगी कि ये किसके लिए और किस उद्देश्य से लिया जा रहा है। बेनिफिशिएरी की पहचान उनके मोबाइल नंबर से की जाएगी बैंक द्वारा सर्विस प्रोवाइडर को किसी व्यक्ति के नाम का वाउचर सिर्फ उसी व्यक्ति को दिया जाएगा।
यहां कर सकते हैं ‘eRUPI’ का इस्तेमाल
सरकार से मिली जानकारी के अनुसार ‘eRUPI’ वाउचर वेलफेयर सर्विसेज की लीक-प्रूफ डिलिवरी की पुष्टि करेगा। इसका इस्तेमाल मदर एंड चाइल्ड वेलफेयर स्कीम, टीबी इरैडिकेशन प्रोग्राम के तहत दवाओं और न्यूट्रिशनल सपोर्ट और आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना और फर्टीलाइजर सब्सिडी के तहत सुविधा देने के लिए किया जा सकता है।
ये है ‘eRUPI’ की विशेषता
ई-रुपी बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ सेवाओं के प्रायोजकों को जोड़ता है। इसके तहत यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए। प्री-पेड होने की वजह से सेवा प्रदाता को किसी मध्यस्थ के हस्तक्षेप के बिना ही सही समय पर भुगतान संभव हो जाता है।
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