गेहूं बुवाई रकबा अबतक मामूली गिरावट के साथ 333.97 लाख हेक्टेयर पर: कृषि मंत्रालय

गेहूं बुवाई रकबा अबतक मामूली गिरावट के साथ 333.97 लाख हेक्टेयर पर: कृषि मंत्रालय

गेहूं बुवाई रकबा अबतक मामूली गिरावट के साथ 333.97 लाख हेक्टेयर पर: कृषि मंत्रालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: January 7, 2022 8:59 pm IST

नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) मुख्य रबी फसल गेहूं की बुवाई का रकबा 2021-22 में अब तक 1.71 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 333.97 लाख हेक्टेयर रहा। कृषि मंत्रालय के शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार गिरावट का कारण उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश में खेती के रकबे का कम होना है।

गेहूं जैसे रबी (सर्दियों) फसलों की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और अप्रैल से कटाई शुरू होती है।

एक साल पहले इसी अवधि में 339.81 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की गई थी।

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आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई का रकबा 3.11 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 1.35 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 1.20 लाख हेक्टेयर और मध्य प्रदेश में 1.14 लाख हेक्टेयर कम रहा।

उक्त अवधि में गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, पंजाब, जम्मू- कश्मीर, झारखंड और उत्तराखंड में भी गेहूं खेती का रकबा कम था।

आंकड़ों से पता चलता है कि हालांकि, इसी अवधि में राजस्थान (1.96 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.68 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.09 लाख हेक्टेयर और असम (0.01 लाख हेक्टेयर) में गेहूं खेती का रकबा अधिक था।

अब तक अधिकांश गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है।

चालू रबी सत्र के 7 दिसंबर को तिलहन को छोड़कर, गेहूं, चावल, दालों और मोटे एवं पोषक अनाज के तहत खेती के रकबे में मामूली कमी रही।

वास्तव में इस रबी सत्र में सात दिसंबर को तिलहन का रकबा बढ़कर 98.85 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले की अवधि में 81.66 लाख हेक्टेयर था। जिसमें से अकेले रेपसीड और सरसों की बुवाई उक्त अवधि में 89.71 लाख हेक्टेयर में हुई।

खाद्य तेलों के आयात पर देश की भारी निर्भरता को देखते हुए यह एक अच्छा संकेत है।

दलहन के मामले में, इस रबी सत्र में अब तक 156.23 लाख हेक्टेयर पर खेती का रकबा लगभग अपरिवर्तित रहा, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 157.75 लाख हेक्टेयर था। इसमें से, उक्त अवधि में चना की बुवाई 109.44 लाख हेक्टेयर में की गई थी।

धान की बुवाई का रकबा भी इस रबी सत्र में 7 दिसंबर तक घटकर 16.44 लाख हेक्टेयर रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि में 18.69 लाख हेक्टेयर था।

आंकड़ों से पता चलता है कि मोटे एवं पोषक अनाज की खेती का रकबा भी 46.68 लाख हेक्टेयर में थोड़ा कम रहा, जबकि उक्त अवधि में पहले 48.32 लाख हेक्टेयर था।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण


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