ब्रिटेन के शुल्क लाभ योजना को वापस लेने से प्रभावित हो सकता है श्रम आधारित वस्तुओं का निर्यात

ब्रिटेन के शुल्क लाभ योजना को वापस लेने से प्रभावित हो सकता है श्रम आधारित वस्तुओं का निर्यात

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  • Publish Date - June 19, 2023 / 03:09 PM IST,
    Updated On - June 19, 2023 / 03:09 PM IST

नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) ब्रिटेन के शुल्क लाभ योजना जीएसपी को वापस लेने के फैसले से चमड़ा और कपड़ा जैसे कुछ श्रम आधारित क्षेत्रों के भारतीय निर्यातक प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों और व्यापारियों ने यह बात कही है।

ब्रिटेन 19 जून से सामान्यीकृत तरजीही योजना (जीएसपी) की जगह एक नयी व्यवस्था विकासशील देशों के लिए व्यापार योजना (डीसीटीएस) को लागू कर रहा है।

इस कारण कपड़ा, चमड़े के सामान, कालीन, लोहा और इस्पात के सामान तथा रसायनों सहित कुछ श्रम आधारित क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू), ऑस्ट्रेलिया, जापान और कई अन्य विकसित देश अपनी जीएसपी योजनाओं के तहत विकासशील देशों को आयात शुल्क रियायत देते हैं।

जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘चूंकि ब्रिटेन, यूरोपीय संघ से बाहर आ गया है, इसलिए उसने अपनी जीएसपी योजना तैयार की है। प्रत्येक देश उत्पादों के आधार पर एक सीमा निर्धारित करता है, और यदि किसी देश का निर्यात उस सीमा से अधिक होता है तो जीएसपी रियायतें बंद हो जाती हैं। ब्रिटेन श्रम आधारित क्षेत्रों को दी जाने वाली जीएसपी रियायतें वापस ले रहा है।’’

उन्होंने कहा कि यह अनुमान पहले से था कि ब्रिटेन इन रियायतों को वापस लेगा, क्योंकि दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।

जीएसपी रियायतें आमतौर पर अल्प विकसित देशों (एलडीसी) को मिलती हैं। चीन को ऐसी रियायतें नहीं मिलतीं हैं।

भारत का 2.5 अरब डॉलर का निर्यात ब्रिटेन में जीएसपी लाभ का हकदार है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि ब्रिटेन में कुछ भारतीय सामान के निर्यात का हिस्सा एक निश्चित सीमा से बढ़ गया है, जिसके कारण वे अब जीएसपी का लाभ नहीं उठा पाएंगे।

उन्होंने कहा कि धातु जैसे कुछ क्षेत्रों को लाभ मिलता रहेगा।

भाषा पाण्डेय अजय

अजय