MTNL का भी होगी निजीकरण! पांच साल से घाटे पर चल रही सरकारी कंपनी

महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) सरकार की टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कंपनी है। हालांकि MTNL पिछले कुछ सालों से घाटे में चल रही है, जिसके बाद ऐसी बातें सामने आई है, जिसमें कहा जा रहा है सरकार की ओर से इसका निजीकरण किया जा सकता है।

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  • Publish Date - July 23, 2022 / 05:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:57 PM IST

MTNL Bill: सरकार की ओर से कई कंपनियों का संचालन किया जा रहा है। इनमें से कई कंपनियां मुनाफे में है तो वहीं कुछ कंपनियों घाटे में भी चल रही है। वहीं अगर पीछे के वक्त पर गौर किया जाए तो सरकार की ओर से कुछ कंपनियों का निजीकरण भी किया गया है। अब ऐसी ही अटकलें एक और सरकारी कंपनी को लेकर चल रही हैं। महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) सरकार की टेलीकॉम सेक्टर से जुड़ी कंपनी है। हालांकि MTNL पिछले कुछ सालों से घाटे में चल रही है, जिसके बाद ऐसी बातें सामने आई है, जिसमें कहा जा रहा है सरकार की ओर से इसका निजीकरण किया जा सकता है।

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पांच साल से घाटा

वहीं सरकार ने अब ये स्पष्ट कह दिया है कि सरकारी स्वामित्व वाली महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के निजीकरण की कोई योजना नहीं है। संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि एमटीएनएल को वर्ष 2016-17 से घाटा हो रहा है और वर्ष 2021-22 में इसका घाटा 2,617 करोड़ रुपये था। मंत्री ने कहा, ‘‘एमटीएनएल के निजीकरण की कोई योजना नहीं है।’’ सरकार ने अक्टूबर 2019 में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और एमटीएनएल के लिए पुनरुद्धार योजना को मंजूरी दी, जिसमें दो सरकारी स्वामित्व वाले दूरसंचार निगमों के विलय के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी गई थी।

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5G सर्विस

एमटीएनएल के अधिक कर्ज और बीएसएनएल की प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के कारण सरकार ने दिसंबर 2020 में एमटीएनएल की ऋण स्थिति में सुधार होने तक विलय को टाल दिया। वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल ने 14 जून, 2022 को हुई अपनी बैठक में 5-जी सेवाएं प्रदान करने के लिए बीएसएनएल के लिए स्पेक्ट्रम आरक्षित किया था। चौहान ने कहा, ‘‘आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत में बने 4 जी उपकरणों का परीक्षण पहले से ही अग्रिम चरण में है और परीक्षण पूरा होने के बाद उपकरणों की आपूर्ति शुरू हो जाएगी।’’

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इतना शुल्क बकाया

उन्होंने कहा कि इस उपकरण को लगाने और चालू करने के बाद लोगों को लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि प्रमुख दूरसंचार सेवा प्रदाताओं का वित्त वर्ष 2018-19 तक कुल लाइसेंस शुल्क (एलएफ) और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) बकाया लगभग 1,62,654.4 करोड़ रुपये था।

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