रायपुरः Vishnu ka Sushasan: छत्तीसगढ़ में साय सरकार के दो वर्ष पूरे होना केवल एक राजनीतिक पड़ाव नहीं, बल्कि भरोसे, बदलाव और स्थिर शासन की कहानी है। इन दो वर्षों में सरकार ने यह साबित किया है कि नीति, नीयत और नेतृत्व यदि स्पष्ट हो, तो जनअपेक्षाओं को परिणामों में बदला जा सकता है। साय सरकार की पहचान शुरू से ही सुशासन को लेकर रही है। छत्तीसगढ़ में साय सरकार के दो वर्ष राज्य के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ के रूप में देखे जा रहे हैं। ये दो साल न केवल मजबूत शासन और प्रशासनिक दृढ़ता के प्रतीक बने, बल्कि नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई और बस्तर क्षेत्र में शांति व पर्यटन की नई संभावनाओं की शुरुआत के लिए भी याद किए जाएंगे।
साय सरकार के कार्यकाल में नक्सलवाद के खात्मे को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के समन्वय के साथ सुरक्षाबलों को आधुनिक संसाधन, बेहतर तालमेल और स्पष्ट रणनीतिक दिशा मिली। केंद्रीय गृहमंत्री की मार्गदर्शन में लगातार चलाए गए प्रभावी अभियानों से नक्सलियों की गतिविधियों पर लगाम लगी और उनके प्रभाव वाले इलाकों में शासन-प्रशासन की मजबूत उपस्थिति स्थापित हुई। सिर्फ सुरक्षा कार्रवाई ही नहीं, बल्कि आत्मसमर्पण नीति, पुनर्वास योजनाएं और विकास कार्यों के माध्यम से युवाओं को हिंसा के रास्ते से दूर करने की कोशिश भी सरकार की रणनीति का अहम हिस्सा रही।
Vishnu ka Sushasan: नक्सलवाद के खात्मे के साथ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई वाली सरकार ने बस्तर की प्राकृतिक सुंदरता, आदिवासी संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत को पर्यटन के माध्यम से नई पहचान देने का प्रयास किया। चित्रकोट, तीरथगढ़, कांगेर घाटी जैसे पर्यटन स्थलों के विकास पर जोर दिया गया। सुरक्षा माहौल बेहतर होने से देश-विदेश के पर्यटकों का भरोसा बढ़ा और बस्तर अब केवल नक्सलवाद की खबरों तक सीमित नहीं, बल्कि पर्यटन और संस्कृति के नए केंद्र के रूप में उभरने लगा। पर्यटन के बढ़ते अवसरों ने बस्तर के स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोले। होमस्टे, गाइड सेवा, हस्तशिल्प, लोक कला और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिला। इससे न केवल आर्थिक स्थिति सुधरी, बल्कि युवाओं को अपने क्षेत्र में ही भविष्य देखने का अवसर मिला।
साय सरकार के प्रयासों से ही बस्तर में पर्यटन को विकसित करने के लिए कई अहम योजनाएं बनाई गई। इसका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिला। बस्तर जिले के छोटे से गांव धुड़मारास ने देश और दुनिया में अपनी अनोखी पहचान बनाई है। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव के उन्नयन कार्यक्रम के लिए चयनित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यटन ग्राम उन्नयन कार्यक्रम के लिए 60 देशों से चयनित 20 गांवों में भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के धुड़मारास ने भी अपनी जगह बनाई है। धुड़मारास प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। बस्तर के अदभुत आदिवासी जीवनशैली, पारम्परिक व्यंजन, हरियाली और जैव विविधता से समृद्ध यह गांव पर्यटकों के लिए एक आकर्षक ही नहीं बल्कि रोमांचक स्थल है। प्रकृति की गोद में बसा धुड़मारास गांव घने जंगलों से घिरा हुआ है। गांव के बीच से बहती कांगेर नदी इसे मनमोहक बना देती है। बस्तर के लोग मेहमाननवाजी के लिए जाने जाते हैं। यही वजह है कि स्थानीय लोग अपने घरों को पर्यटकों के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं, ठहरने की सुविधा उपलब्ध करवाने से उन्हें रोजगार मिल रहा है।.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सुशासन में बस्तर क्षेत्र में विकास की रफ्तार तेज हो गई है। बस्तर की लाइफ लाइन के कहे जाने वाले केशकाल घाटी के दाहिने ओर स्थित टाटामारी हिल स्टेशन अपने खूबसूरत प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध है। आप जब घुमावदार मोड़ों वाली घाटी से यात्रा के बाद टाटामारी पहुंचेंगे तब आपकी थोड़ी बढ़ी हुई धड़कने शांत और आँखों को राहत मिलेगी। यहाँ की खुबसूरत नज़ारे देख कर पर्यटकों के मन में काश ये वक्त यही ठहर जाए यह बात आ ही जाती है। और हर कोई यहाँ के नाजरों को अपने मोबाईल में कैद करने से रह नहीं पाते। यही वजह है की इस नूतन वर्ष में पर्यटक दूर-दूर से यहां की नैसर्गिक सुंदरता को निहारने के लिए पहुंच रहे हैं। यहाँ हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। वर्ष 2020 में 20 हजार 950 पर्यटकों की संख्या थी जो अब बढ़कर 01 लाख 76 हजार 682 हो गई है। यहाँ पर्यटकों के रुकने के लिए यहाँ पर उचित व्यवस्था की गई है ताकि पर्यटक टाटामारी के साथ-साथ आस पास के अन्य पर्यटन स्थलों तक भी पहुँच सकें। टाटामारी में स्थानीय युवाओं को रोजगार मिल भी रहा है। साथ ही स्व सहायता समूह की महिलाएं यहाँ पर्यटकों को गाँव के पारंपरिक पकवान और भोजन परोसते हैं।
छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सुन्दरता और यहां के पर्यटन स्थलों को देखने के लिए देश-दुनिया के लोग छत्तीसगढ़ आते हैं। इसे लेकर देश के विभिन्न हिस्सों विशेषकर महानगरों में छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों की जानकारी देने के लिए प्रदर्शनी एवं कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य छत्तीसगढ़ को पर्यटन को वैश्विक मानचित्र पर लाना है। छत्तीसगढ़ में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया है और इसके लिए नई औद्योगिक पॉलिसी में कई रियायतों का प्रावधान भी किया गया है। होम-स्टे पॉलिसी बनायी गई है ताकि छत्तीसगढ़ बस्तर और सरगुजा अंचल में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। छत्तीसगढ़ सरकार ने इन्हीं प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए राज्य के युवाओं विशेषकर बस्तर अंचल के युवाओं को पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने के लिए टूरिस्ट गाइड प्रशिक्षण की पहल शुरू की है।
बस्तर लंबे समय तक नक्सलवाद, पिछड़ेपन और उपेक्षा की पहचान के रूप में देखा जाता रहा, लेकिन आज वही बस्तर बदलाव की नई कहानी लिख रहा है। इस परिवर्तन की सबसे सशक्त मिसाल हैं बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम। ये दोनों आयोजन न केवल खेल और संस्कृति का उत्सव हैं, बल्कि बस्तर के आत्मविश्वास, अस्मिता और शांतिपूर्ण भविष्य का प्रतीक भी बन चुके हैं। बस्तर ओलंपिक का उद्देश्य केवल खेल प्रतियोगिता कराना नहीं, बल्कि बस्तर के युवाओं को सकारात्मक दिशा देना है। गांव-गांव से निकले युवा खिलाड़ी पहली बार बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। पारंपरिक खेलों से लेकर आधुनिक खेलों तक, बस्तर ओलंपिक ने खेल को जोड़ने का माध्यम बना दिया है। बस्तर पंडुम बस्तर की समृद्ध आदिवासी संस्कृति, परंपराओं और लोककलाओं का उत्सव है। यहां नृत्य, गीत, वाद्य यंत्र, वेशभूषा और रीति-रिवाज पूरे वैभव के साथ सामने आते हैं। यह आयोजन आदिवासी समाज की अस्मिता और स्वाभिमान को मजबूत करता है। बस्तर पंडुम ने यह साबित किया है कि विकास का अर्थ अपनी जड़ों से कटना नहीं, बल्कि उन्हें सहेजते हुए आगे बढ़ना है। बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम ने पर्यटन को भी नई गति दी है। देश-विदेश से लोग बस्तर की संस्कृति और प्रतिभा को देखने आ रहे हैं। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार, हस्तशिल्प को बाजार और बस्तर को नई पहचान मिल रही है।