Bilaspur High Court News: पत्नी की कॉल डिटेल मांगना पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए कह दी ये बड़ी बात

Bilaspur High Court News: पत्नी की कॉल डिटेल मांगना पड़ा भारी, हाईकोर्ट ने पति की याचिका खारिज करते हुए कह दी ये बड़ी बात

Bilaspur High Court News/Image Source: IBC24

HIGHLIGHTS
  • त्नी की कॉल डिटेल मांगना पड़ा महंगा,
  • हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज,
  • कहा- निजता का हनन संविधान के खिलाफ,

बिलासपुर: Bilaspur High Court News:  हाईकोर्ट ने पति-पत्नी के बीच विवाद होने पर पति द्बारा पत्नी की मोबाइल की कॉल डिटेल एवं सीडीआर उपलब्ध कराने की मांग करते हुए पेश याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि गोपनीयता एक संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकार है जो मुख्यत: भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी से उत्पन्न होता है। इसमें व्यक्तिगत अंतरंगता का संरक्षण, पारिवारिक जीवन की पवित्रता, विवाह, संतानोत्पत्ति, घर और यौन अभिविन्यास शामिल हैं। इस अधिकार में कोई भी अतिक्रमण या हस्तक्षेप व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना जाएगा। मामले की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की कोर्ट में हुई।

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Bilaspur High Court News:  याचिकाकर्ता दुर्ग जिला निवासी की राजनांदगांव जिला निवासी युवती से 4 जुलाई 2022 को गाँव में हिदू रीति-रिवाजों के अनुसार शादी हुई। पति ने विवाह विच्छेद हेतु हिदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(1) के अंतर्गत एक याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया कि पत्नी विवाह के 15 दिन बाद अपने माता-पिता के घर गई और उसके तुरंत बाद उसका व्यवहार काफी बदल गया। पत्नी ने याचिकाकर्ता की माँ और भाई के साथ दुर्व्यवहार किया। सितंबर और अक्टूबर के महीने में,पत्नी ने फिर से अपने माता-पिता के घर गई और जब याचिकाकर्ता ने उससे संपर्क किया तो उसने उसके साथ जाने से साफ इनकार कर दिया।

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Bilaspur High Court News:  याचिकाकर्ता ने 7.10.2022 को हिदू विवाह अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत वैवाहिक अधिकारों की पुनर्स्थापना हेतु एक याचिका दायर की। इसके बाद पत्नी ने धारा 125 के तहत एक आवेदन दायर किया। याचिकाकर्ता की माँ, पिता और भाई के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्यवाही भी शुरू की। याचिकाकर्ता पति ने 24.1.2024 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, दुर्ग के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें पत्नी के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया। पुलिस द्बारा उपलब्ध नहीं कराए जाने पर परिवार न्यायालय में आवेदन दिया। परिवार न्यायालय से आवेदन खारिज होने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

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Bilaspur High Court News:  सुनवाई उपरांत उन्होंने अपने आदेश में कहा कि वर्तमान मामले के तथ्यों से यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता द्बारा विवाह विच्छेद के लिए दायर याचिका में व्यभिचार का कोई आरोप नहीं है। अपने घर या कार्यालय की गोपनीयता में बिना किसी हस्तक्षेप के मोबाइल पर बातचीत करने का अधिकार निश्चित रूप से निजता के अधिकार के अंतर्गत संरक्षित है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हमारे संविधान में पति और पत्नी दोनों के लिए एक मौलिक अधिकार है। इसका अर्थ है कि कोई भी पति/पत्नी दूसरे के निजी स्थान, स्वायत्तता और संचार का मनमाने ढंग से उल्लंघन नहीं कर सकता।

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Bilaspur High Court News:  हालाँकि वैवाहिक संबंधों में साझा जीवन शामिल होता है लेकिन यह व्यक्तिगत गोपनीयता के अधिकारों से इनकार नहीं करता। पति, पत्नी को अपने मोबाइल फ़ोन या बैंक खाते के पासवर्ड साझा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता और ऐसा कृत्य गोपनीयता का उल्लंघन और संभावित रूप से घरेलू हिंसा माना जाएगा। कॉल डिटेल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के लिए दायर आवेदन को स्वीकार करने से पत्नी की निजता के अधिकार और जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।

"कॉल डिटेल याचिका हाईकोर्ट फैसला" में कोर्ट ने क्या निर्णय दिया?

कोर्ट ने कहा कि पति द्वारा पत्नी की कॉल डिटेल और सीडीआर मांगना निजता के अधिकार का उल्लंघन है और याचिका को खारिज कर दिया।

क्या पति/पत्नी एक-दूसरे की कॉल डिटेल कानूनी रूप से मांग सकते हैं?

नहीं, बिना अदालत के निर्देश या उचित कानूनी प्रक्रिया के, पति या पत्नी की कॉल डिटेल लेना निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है।

"कॉल डिटेल याचिका हाईकोर्ट फैसला" में किस अनुच्छेद का हवाला दिया गया?

अनुच्छेद 21 — जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

क्या वैवाहिक संबंध में गोपनीयता का अधिकार लागू होता है?

हाँ, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि शादी के बावजूद दोनों पक्षों को निजी संचार, मोबाइल डेटा और व्यक्तिगत निर्णयों पर पूर्ण गोपनीयता का अधिकार है।

क्या कॉल डिटेल मांगने पर घरेलू हिंसा का आरोप लग सकता है?

संभावित रूप से हाँ, यदि ऐसा दबाव या जबरदस्ती से किया गया तो यह घरेलू हिंसा की श्रेणी में आ सकता है।

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