Reported By: Vishal Vishal Kumar Jha
,Bilaspur High Court News | Image Source | IBC24
बिलासपुर: Bilaspur High Court News: दुष्कर्म के एक मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कहा है कि यदि पीड़िता बालिग है और उसने लंबे समय तक युवक को पति मानकर शारीरिक संबंध बनाए हैं तो इसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि वह स्वेच्छा से उसके साथ रह रही थी। हाईकोर्ट ने रायगढ़ के फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा आरोपी को दोषी ठहराने के आदेश को रद्द कर दिया है।
Bilaspur High Court News: बताया गया कि महिला ने रायगढ़ के चक्रधर नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आरोपी ने वर्ष 2008 में उससे शादी का झांसा देकर यौन शोषण शुरू किया। महिला पहले बिलासपुर में रहती थी और एक एनजीओ में काम करती थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात आरोपी से हुई। आरोपी ने उसे शराबी पति को छोड़ने की सलाह दी और शादी का वादा किया। उसने महिला को किराए का मकान दिलवाया और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान उनके तीन बच्चे भी हुए।
Bilaspur High Court News: फिर साल 2019 में आरोपी यह कहकर रायपुर गया कि वह एक हफ्ते में लौट आएगा। लेकिन, वो वापस नहीं आया। जिससे परेशान होकर महिला ने उसके वापस आने के लिए दबाव बनाया। युवक के मानने पर परेशान होकर महिला ने थाने में रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धारा 376 के तहत दुष्कर्म का केस दर्ज कर आरोपी को अरेस्ट किया,और कोर्ट में चालान पेश किया। ट्रॉयल के दौरान फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भी आरोपी के खिलाफ आरोप तय कर दिया।
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Bilaspur High Court News: इस आदेश को आरोपी युवक ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। जिसमें बताया गया कि पीड़िता और वह लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे। पीड़िता ने सभी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी, गैस कनेक्शन फॉर्म, बैंक स्टेटमेंट और राशन कार्ड में खुद को पत्नी के रूप में दर्ज कराया है। यहां तक कि महिला बाल विकास विभाग के सखी वन स्टॉप सेंटर में भी उसने अपनी शिकायत में आरोपी को अपना पति बताया था।
Bilaspur High Court News: मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि अगर महिला और पुरुष लंबे समय तक साथ रहे हैं और महिला ने आरोपी को अपना पति स्वीकार किया है तो यह मानना मुश्किल है कि उसे धोखे में रखकर यौन संबंध बनाए गए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के 3 जुलाई 2021 के आदेश को निरस्त कर दिया है।