CG Junior Engineer Recruitment: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, BE डिग्रीधारकों को नौकरी से बाहर करना गलत, भर्ती नियम किए निरस्त
CG Junior Engineer Recruitment: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, BE डिग्रीधारकों को नौकरी से बाहर करना गलत, भर्ती नियम किए निरस्त
CG Junior Engineer Recruitment | Image Source | IBC24
- हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,
- बी.ई. डिग्रीधारकों को अयोग्य ठहराना असंवैधानिक,
- भर्ती नियम किए निरस्त
बिलासपुर: CG Junior Engineer Recruitment: लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सहित अन्य विभागों में उप अभियंता की नियुक्ति में बी.ई. डिग्री धारकों को अयोग्य ठहराए जाने के नियम को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बताया है और सरकार के इस नियम को निरस्त कर दिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति बी. डी. गुरु की द्वैतीयपीठ में हुई।
CG Junior Engineer Recruitment: दरअसल याचिकाकर्ता धगेन्द्र कुमार साहू ने वकील प्रतिभा साहू के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। रिट याचिका में छत्तीसगढ़ राज्य सरकार व संबंधित विभाग द्वारा उप अभियंता (सिविल/मैकेनिकल/इलेक्ट्रिकल) पद पर नियुक्ति हेतु बनाए गए भर्ती नियमों को चुनौती दी गई। इन नियमों के तहत केवल डिप्लोमा धारकों को पात्र माना गया जबकि बी.ई. डिग्रीधारी उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराया गया था।
CG Junior Engineer Recruitment: मामले को लेकर तर्क दिया गया कि वर्ष 2016 तक जब भी उक्त पदों पर नियुक्तियाँ की जाती थीं, तो डिप्लोमा धारकों के साथ ही बी.ई. डिग्रीधारकों को भी नियुक्त किया जाता था, भले ही नियमों में डिप्लोमा की शर्त उल्लेखित रही हो। यह एक स्थापित प्रक्रिया थी और दोनों प्रकार के उम्मीदवारों को समान रूप से अवसर दिया जाता था। परंतु इस बार सरकार और संबंधित विभाग द्वारा पहली बार केवल डिप्लोमा धारकों तक पात्रता सीमित कर देना एक पक्षपातपूर्ण, भेदभावपूर्ण और मनमानी कार्यवाही थी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 16 (सार्वजनिक नियुक्तियों में समान अवसर) तथा 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है।
CG Junior Engineer Recruitment: कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कहा कि बी.ई. डिग्रीधारी उम्मीदवार तकनीकी रूप से अधिक योग्य होते हैं, और उन्हें ऐसे पदों से वंचित करना संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है। न्यायालय ने यह भी माना कि सरकार द्वारा वर्षों से बी.ई. एवं डिप्लोमा धारकों दोनों की नियुक्ति की जाती रही है, परंतु इस बार मात्र डिप्लोमा धारकों को पात्र घोषित कर देना एक असमान, भेदभावपूर्ण तथा अनुचित निर्णय है। न्यायालय ने संबंधित भर्ती नियमों को संविधान के विरुद्ध घोषित करते हुए निरस्त कर दिया।

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