BJP have to prepare for the 2023 elections on farmers issue?

BJP का बूथ अभियान…कांग्रेस का क्या है प्लान…आखिर भाजपा को क्यों करनी पड़ी छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और किसान मुद्दे पर 2023 के चुनाव की तैयारी?

भाजपा को क्यों करनी पड़ी छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और किसान मुद्दे पर चुनाव की तैयारी?BJP have to prepare for 2023 elections on farmers issue?

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:58 PM IST, Published Date : May 5, 2022/11:20 pm IST

रिपोर्ट- सौरभ सिंह परिहार, रायपुर: 2023 elections on farmers issue? भाजपा के बूथ विस्तार अभियान और छत्तीसगढिया स्वाभिमान की होगी, जिसे लेकर भाजपा का दावा है कि असल में छत्तीसगढिया स्वाभिमान तो भाजपा ने रखा है। अपने बूथ-विस्तारक अभियान के तहत भाजपा पांपलेट के जरिए प्रत्येक बूथ पर लोगों को ये बता रही है कि अलग छत्तीसगढ़ प्रदेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बनाया, छत्तीसगढ़ी राजभाषा बनी। किसानों के लिए अनगिनत काम हुए ये सब भाजपा ने किया। अब सवाल ये कि भाजपा को आखिर छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और किसान मुद्दे पर 2023 के चुनाव की तैयारी क्यों करनी पड़ी है? क्या ये रणनीति भाजपा को फिर जीत दिला पाएगी?

Read More: गाजियाबाद के होटल में संदिग्ध हालत में मिली महिला, फटी रह गई सफाई कर्मियों की आंखें जब देखा इस हाल में

क्या कहते हैं बृजमोहन अग्रवाल?

2023 elections on farmers issue? 15 साल सत्ता में रही भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का सामने आया बयान साफ कर रहा है कि अब भाजपा 2023 का चुनाव छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और किसान के मुद्दे को आगे कर लड़ेगी। हो भी क्यों ना, 2018 में सरकार में आने के बाद से अब तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का ठेठ देसी अंदाज और छत्तीसगढ़िया पहचान से जुड़े तीज-त्यौहारों को सरकारी आयोजन और आमजन से जोड़कर काम करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बना चुका है। इधर, भाजपा का आरोप है कि ये सब कांग्रेस सरकार का कोई भी काम ना होने पर पर्दा डालने के लिए प्रोपेगेंडा है इसीलिए भाजपा ने अब 5 मई से 20 मई तक बूथ विस्तारक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत बूथों पर पहुंचकर भाजपा नेता-कार्यकर्ता केंद्र सरकार के काम, प्रदेश सरकार की नाकामियों के साथ-साथ छत्तीसगढिया स्वाभिमान की बात कर रहे हैं।

Read More: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, महासचिव ने थामा ‘आप’ का दामन, कई और बड़े नेता छोड़ सकते हैं पार्टी 

2018 की हार पर भाजपा ने किया मंथन

वैसे, 2018 में सत्ता से बेदखल होने के बाद भाजपा ने हार पर लंबा मंथन किया है। मौजूदा दौर को भांपते हुए पार्टी ने अब चुनाव के डेढ़ साल पहले से ही अपने सभी नेता-कार्यकर्ताओं को बूथों पर सक्रिय कर दिया है। पार्टी के निर्देश के मुताबिक नेता-कार्यकर्ता बूथों में 10 दिन जाकर,10 घंटे काम करेंगे। यानि प्रत्येक बूथ पर 100 घंटे सक्रिय रहेंगे नेता। इस दौरान बूथवार डाटा भी तैयार किया जाएगा, जिसमें बूथ पर वोट प्रतिशत, जाति प्रतिशत, बूथ के प्रमुख लोग, धार्मिक-समाजिक संस्थाओं सभी का डाटा इकट्टा होगा, जो 2023 के साथ-साथ 2024 चुनाव में भी काम आएगा। भाजपा की इस कवायद पर कांग्रेस ने तंज कसा है कि 15 साल प्रदेश में भाजपा सरकार अगर काम करती तो महज 14 सीटों पर नहीं सिमटती।

Read More: इन ​राशि के लोगों का है अमीर बनने का ज्यादा चांस, ये राशि वाले के हाथ लगेगी मायूसी

छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की बात

देशभर में भाजपा राष्ट्रवाद के साथ ही क्षेत्रीय मुद्दों पर चुनाव लड़ती और जीतती आई है। छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने 2023 के लिए बूथ को मजबूत कर, उसका पूरा डेटा जुटाने की कवायद के साथ-साथ छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान और पहचान पर खुलकर बोलना शुरू कर दिया है। देखना होगा कि भाजपा की रणनीति जमीन पर कितनी कारगर रहती है?

Read More: 10वीं-12वीं के 3 लाख विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा के लिए मिला टैबलेट, इतने दिनों फ्री इंटरनेट डेटा भी देगी हरियाणा सरकार

 
Flowers