IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने, क्या संघीय ढांचे के खिलाफ है काडर रूल्स में बदलाव? |

IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति पर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने, क्या संघीय ढांचे के खिलाफ है काडर रूल्स में बदलाव?

IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें कई बार आमने-सामने आ चुकी हैं..एक बार इस मुद्दे पर तनातनी बढ़ती जा रही है..दरअसल मोदी सरकार मोदी सरकार IAS (काडर) रूल्स 1954 में बदलाव करना चाहती है..इसके लिये संशोधन प्रस्ताव लेकर आई है.

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : January 22, 2022/10:11 pm IST

deputation of IAS officers

रायपुर। IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें कई बार आमने-सामने आ चुकी हैं..एक बार इस मुद्दे पर तनातनी बढ़ती जा रही है..दरअसल मोदी सरकार मोदी सरकार IAS (काडर) रूल्स 1954 में बदलाव करना चाहती है..इसके लिये संशोधन प्रस्ताव लेकर आई है..जिसपर सभी राज्यों को 25 जनवरी तक जवाब देने को कहा है..हालांकि प्रस्तावित संशोधन पर विरोध तेज हो गया है.. पश्चिम बंगाल, राजस्थान के बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है..

मुख्यमंत्री ने मांग की है कि काडर नियम बरकरार रखा जाए..क्योंकि अगर बदलाव होता है तो प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा सकती है..अब सवाल ये है कि.. IAS काडर के नियमों में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी ? क्या इसके जरिये राज्य सरकारों का अधिकार कम करने की कोशिश की जा रही है..?
आखिर IAS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को लेकर प्रस्तावित संशोधन में ऐसा क्या है..जिसे लेकर विरोध हो रहा हैं.. .

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मोदी सरकार IAS की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के नियम को बदलने के लिए संशोधन प्रस्ताव लेकर आई है..इस संबंध में उसने राज्यों से अपना अभिमत मांगा था.. लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चिट्ठी लिखकर इस प्रस्ताव का विरोध किया है.. मुख्यमंत्री ने काडर नियम को बरकरार रखने की मांग करते हुए केंद्र को पत्र लिखा कि..

अखिल भारतीय सेवा के काडर नियमों में संशोधन का प्रस्ताव संविधान में रेखांकित संघीय भावना के पूर्णत: विपरीत है.. छत्तीसगढ़ में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी कानून व्यवस्था, नक्सल हिंसा के उन्मूलन, राज्य के सर्वांगिण विकास, वनो के संरक्षण सहित विभिन्न प्रशासनिक कार्यों में अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं..अगर नियमों में बदलाव होता है तो प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा सकती है..अधिकारियों में अस्थिरता की स्थिति निर्मित हो सकती है..

मुख्यमंत्री ने ये भी लिखा कि.. निकट भविष्य में इन नियमों के दुरुपयोग की अत्यंत संभावना है..
केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर सियासत भी शुरू हो गई है.. छत्तीसगढ़ कांग्रेस जहां काडर नियमों को यथावत रखने की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मांग को जायज ठहरा रही है…वहीं बीजेपी मोदी सरकार के समर्थन में खड़ी है..

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IAS नियुक्ति-ट्रांसफर के नियम में प्रस्तावित संशोधन का विरोध कई गैर बीजेपी शासित राज्य कर चुके हैं… छत्तीसगढ़ से पहले राजस्थान, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने भी पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर इसे वापस लेने की मांग कर चुके हैं.. सभी राज्यों ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ और राज्यों की व्यवस्था को प्रभावित करने वाला बताया है.. इधर छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार के काडर नियम में संशोधन प्रस्ताव पर भी बीजेपी-कांग्रेस की प्रतिक्रिया सामने आई है।

जाहिर है IAS काडर रूल्स में बदलाव के प्रस्ताव का सबसे ज्यादा विरोध गैर बीजेपी शासित राज्य कर रहे हैं.. क्योंकि संशोधित प्रस्ताव को पहले से ज्यादा सख्त बनाते हुए इसमें केंद्र को और ज्यादा अधिकार दिये गए हैं..अब केंद्र सरकार अगर किसी IAS अधिकारी को खास जगह या हालात में डेप्यूटेशन पर बुलाना चाहे तो राज्य सरकार को उस अधिकारी को तय वक्त में भेजना ही होगा..इतना ही नहीं नया प्रस्ताव ये भी कहता है कि अगर राज्य सरकार वक्त पर कोई फैसला नहीं लेती..तो IAS अधिकारी को तय की गई तारीख को कैडर से मुक्त माना जाएगा..

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हालांकि केंद्र का कहना है कि प्रस्ताव के लागू होने से सेंट्रल डेप्यूटेशन में IAS अधिकारियों की कमी से निपटा जा सकेगा..क्योंकि उसका आरोप है कि राज्य केंद्र की जरूरत के हिसाब से उसे IAS अधिकारी उसे नहीं देते..जबकि राज्य सरकारें इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए नियम को यथावत रखने की मांग कर रहे हैं..

 
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