Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच तेज, ACB ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस को जारी किया नोटिस, मांगी इस शख्स की जानकारी

शराब घोटाले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस को ACB का नोटिस, जांच एंजेंसी ने मांगी इस शख्स की जानकारी, Chhattisgarh Liquor Scam: ACB issues notice to Chhattisgarh Congress in liquor scam

  • Reported By: Rajesh Mishra

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  • Publish Date - September 29, 2025 / 04:30 PM IST,
    Updated On - September 29, 2025 / 04:54 PM IST

रायपुरः Chhattisgarh Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित करोड़ों के शराब घोटाले की जांच कर रही एंटी करप्शन ब्यूरो ने बड़ा एक्शन लिया है। जांच एजेंसी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को नोटिस भेजा है और अकाउंटेंट देवेंद्र डड़सेना के बारे में जानकारी मांगी है। देवेंद्र डड़सेना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में ही अकाउंटेंट के पद थे और पीसीसी कोषाध्यक्ष रामगोपाल के करीबी माने जाते हैं। देवेंद्र डड़सेना अभी शराब घोटाले मामले में जेल है। एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने नोटिस में कहा है कि देवेंद्र डडसेना जिस पद पर कार्यरत थे, उस संबंध में नियुक्ति की अवधि से संबंधित सभी दस्तावेज, कार्य और कर्तव्य की विस्तृत जानकारी और वेतनमान की जानकारी दी जाए।

कौन है रामगोपाल अग्रवाल

Chhattisgarh Liquor Scam: रामगोपाल अग्रवाल लगभग पिछले एक दशक से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद पर काबिज हैं। जब भूपेश बघेल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष थे तब भी रामगोपाल अग्रवाल कोषाध्यक्ष रहे। वर्ष 2018 में जब कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने, तो रामगोपाल अग्रवाल का कद और बढ़ गया। कांग्रेस संगठन में कोषाध्यक्ष पद पर बने रहते हुए भूपेश बघेल ने इन्हें नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष भी नियुक्त किया। इन दोनों मामलों में ईडी की गिरफ्तारी से बचने के लिए रामगोपाल अग्रवाल तीन साल से गायब हैं।

जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 3200 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। इस घोटाले में राजनेता, आबकारी विभाग के अधिकारी, कारोबारी सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।

 

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