शह मात The Big Debate: सुशासन की परीक्षा, फेल कितने.. कौन पास? कलेक्टर कॉन्फ्रेंस के बहाने मंथन, क्या वाकई इन मीटिंग्स से सुशासन में कसावट आती है ?

सुशासन की परीक्षा, फेल कितने.. कौन पास? Chief Minister of the state held a 9-hour review meeting for two days in the Collector-SP conference in Raipur

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  • Publish Date - October 13, 2025 / 11:36 PM IST,
    Updated On - October 13, 2025 / 11:54 PM IST

रायपुर: CG News राजधानी रायपुर में कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में दो दिनों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 9-9 घंटे जिला और राज्य प्रशासन के टॉप ऑफिसर्स के साथ मिलकर विषयवार और जिलेवार समीक्षा की है। सरकारी योजनाओं का जमीनी हाल और जनता की समस्याओं पर प्रशासन के रिस्पॉन्स कैसा होना चाहिए? इस पर विस्तार से बात हुई हैअच्छा परफोर्मेंस वालों की पीथ थपथपाई गई तो कुछ लापरवाह अफसरों को फटकार भी मिली। विपक्ष कहता है ये पूरी कवायद कोरा दिखावा है? अवैध माइनिंग से लेकर नशा, लॉ-एंड-ऑर्डर तक पूरा तंत्र फेल है तो कैसा है जिलों की समीक्षा के बाद रिपोर्ट कार्ड? क्या हैं दावे और आरोपों की हकीकत? चलिए समझते हैं इस खबर के जरिए..

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय में दो दिन चली कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस में पूरा फोकस सुशासन पर रखा हैCM साय का जोर रहा कि केंद्र और राज्य सरकार की फ्लैगशिप योजना को जमीनी स्तर पर अमल में लानाकलेक्टर्स को साफ-साफ कहा गया कि धान खरीदी व्यवस्था के लिए वो सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगेCM ने चेताया कि जनहित के कामों में कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं होगीबैठक में गौरेला,पेंड्रा,मरवाही और बीजापुर में अच्छे कामों के लिए जिला प्रशासन की तारीफ हुई तो लॉ-एंड-ऑर्डर सुधारने के लिए महासमुंद, राजनांदगांव, धमतरी समेत कुछ जिले के एसपी को फटकार भी मिलीसत्ता पक्ष का दावा है कि मीटिंग में इस तरह की समीक्षा के सकारात्मक नतीजे जल्द दिखेंगेहालांकि विपक्ष ने सरकार के दावे के उलट चैलेंज किया कि अगर हिस्मत है तो सुशासन पर खुली चर्चा कर दिखाएंपीसीसी चीफ दीपक बैज ने सरकार से रेत की अवैध माइनिंग में मिलीभगत के गंभीर आरोप भी लगाए हैं।

प्राशसनिक कसावट के मक्सद से बुलाई गई इस कॉन्फ्रेंस में कलेक्टर-एसपी, विभागीय सचिव, आईजी, कमिश्नर, जिला पंचायत सीईओ, डीएफओ समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुएइस पूरी कवायद का मकसद यही दिखा कि केंद्र और राज्य सरकार अपनी योजनाओं से आते बदलाव को साफ-साफ जनता के बीच पहुंचाना, दिखाना चाहती है कि क्योंकि अगर आम लोगों को लाभ मिलेगा तो सरकार पर जनता का भरोसा बना रहेगासवाल ये है कि क्या वाकई इन मीटिंग्स से सुशासन में कसावट आती है ? सवाल विपक्ष के आरोपों पर भी है क्या वो सच हैं ?