गांव की इस बेटी ने रूस में बढ़ाया छत्तीसगढ़ का मान, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और पहले एशियाई संवाद 2023 में किया भारत का प्रतिनिधित्व

एशियाई संवाद रूस और दक्षिण एशिया के बीच संवाद पर यह पहला शोध और शैक्षिक कार्यक्रम सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में सम्पन्न हुआ।

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  • Publish Date - June 30, 2023 / 05:25 PM IST,
    Updated On - June 30, 2023 / 05:25 PM IST

Daughter of the village increased the honor of Chhattisgarh in Russia

Daughter of the village increased the honor of Chhattisgarh in Russia पेण्ड्रा । विकासखण्ड पेण्ड्रा के नवागांव की रहने वाली क्षिप्रा वासुदेव ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में 4 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और पहले एशियाई संवाद 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व कर अपने गांव और प्रदेश को गौरवान्वित किया है। इस दौरान क्षिप्रा वासुदेव ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अपने सर्वश्रेष्ठ सम्मानित शोध लेख को भी प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम रूस के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत एक थिंक टैंक गोरचकोव पब्लिक डिप्लोमेसी फंड द्वारा आयोजित किया गया था। एशियाई संवाद रूस और दक्षिण एशिया के बीच संवाद पर यह पहला शोध और शैक्षिक कार्यक्रम सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में सम्पन्न हुआ।

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सम्मेलन में 60 से अधिक प्रतिनिधि संवाद के बने भागीदार

इस सम्मेलन में रूस, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान और उज्बेकिस्तान के 60 से अधिक प्रतिनिधि संवाद के भागीदार बने। मंच के विशेषज्ञ इस क्षेत्र के देशों के साथ-साथ घरेलू मुद्दों के साथ सहयोग के लिए मौलिक रास्ते पर चर्चा कर रहे हैं जो दक्षिण एशियाई राज्यों की विदेश नीति के पाठ्यक्रम को सीधे प्रभावित करते हैं। क्षिप्रा वासुदेव पेंड्रा जनपद अंतर्गत नवागांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) दिल्ली में सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही हैं।

स्कूल टीचर हैं क्षिप्रा के पिता महेश प्रसाद वासुदेव

क्षिप्रा के पिता महेश प्रसाद वासुदेव स्कूल टीचर हैं वहीं मां पार्वती वासुदेव गृहिणी के साथ ही कृषि कार्य भी करती हैं। क्षिप्रा वासुदेव रूस में आयोजित सम्मेलन में उन्होंने पूर्व भारतीय सीनियर राजदूतों, विशेषज्ञों और प्रोफेसरों के साथ बातचीत की, उनका मार्गदर्शन मिला, साथ ही उन्हें युवा रूसी शोध विद्वानों, प्रोफेसरों और विधार्थियों से जुड़ने का अवसर मिला।

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उन्होंने बताया कि भारत-रूस संबंध कितने गहरे हैं और हम एक-दूसरे पर कितना भरोसा करते हैं। लेकिन हमें कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा आदि जैसे क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाने की जरूरत है। इसके अलावा उन्होंने, टी 3 फॉर्मूला ट्रेड, ट्रस्ट एंड ट्रांजिशन के बारे में बताया जो आगे रशिया और भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, मेडिकल छात्र जो रूस में पढ़ रहे थे, उन छात्रों ने अनुभवों की एक श्रृंखला साझा की। एशियाई संवाद में समग्र शैक्षणिक चर्चा बहुत ही व्यावहारिक थी और इसमें वैश्विक दक्षिण और यूरेशिया की गतिशीलता और उनके भविष्य के सहयोग के सभी पहलुओं को शामिल किया गया था।